गण-दोष का परिहार : जिन वर-वधु में से एक का देवगण तथा दूसरे का राक्षसगण हो या उनमे से एक का मनुष्यगण दूसरे का राक्षसगण हो तो इसे गण-दोष कहते है ||
ऐसी दशा में विवाह करना सामान्यता वर्जित किया गया है ||
किन्तु वर-वधु की राशियों में नैसर्गिक मित्रता हो या
उनदोनो की राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो तो
गण-दोष अपना दूषित प्रभाव नही डाल पाता है ||
कारण
● प्रकृति मनोवृत्ति एवं रूचि में समानता का विचार राशियों की मित्रता से किया जाता है ||
● अतः राशियों के नैसर्गिक मित्रता या एकता गणदोष के होने पर भी दम्पत्ति में किसी प्रकार का मतभेद विरोध कलह पैदा नही होने देता है ||
शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
गुणविचार में
पूर्ण शुभता के द्योतक 6 गुण
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अतः वर-वधु के गण समान हो तो
● 6 गुण कन्या का देव और वर का मनुष्य हो तो 5 गुण
● वर का देव एवं वधु का मनुष्य गण हो तो 1 गुण
● दोनों में से किसी एक का देव और राक्षस गण हो तो 1 गुण
● दोनों में से किसी एक का मनुष्य और अन्य का राक्षस गण हो तो 0 गुण होता है ||
ग्रहो का
पति-पत्नी के जीवन पर प्रभाव
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यदि विरोधी विचार
आपस में मिल जाते है तो
वहाँ पर उनके विचार हमेशा एक जैसे बन जाते है ||
यदि विवाह नही हो रहा है या
मिलापक अच्छा नही हो रहा है या
विवाह के बाद क्लेश समाप्त नही हो रहा है
तो हमसे अवश्य सम्पर्क करे ||
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-1) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-2) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-3) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-4) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-5) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-6) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-7) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
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सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-9) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज