मैत्री एवं ग्रह मैत्री : मेलापक में ग्रह में मित्रता का बहुत योगदान होता है ||
ग्रह में मित्रता का मिलान
जन्म की राशि के अनुसार होता है ||
जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि पर होता है ; व्यक्ति की वही राशि कहलाती है ||
इसीप्रकार जब वर और कन्या का चन्द्रमा एक ही राशि पर होता है तो दोनों की राशि एक ही हो जाती है ||
एक राशि होने पर वर और वधु के अंदर आने वाले विचार सामान हो जाते है ||
जब विचार सामान हो जाते है
तो एक ही घर के अंदर रहने पर उनको कोई कठिनाई नही होती है ||
कठिनाई तब होती है
जब दोनों की ग्रह मित्रता अलग-2 होती है ||
दोनों की राशियाँ
एक-दूसरे की परम् शत्रु होती है ||
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-1) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-2) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-3) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-4) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-5) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-6) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज
सीखिये वर-बधु की कुण्डली मिलान (अध्याय-1- भाग-7) : शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महाराज