महानगरों में लगातार बढ़ता कचरा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। साथ में कचरे का प्रबंधन करना भी एक बड़ी चुनौती है। लेकिन पुणे में जिस तरिके से कचरा प्रबंधन किया जा रहा है वह इस दिशा में यकीनन एक क्रान्तिकारी बदलाव ला सकता है।
कचरे के निपटान के लिए जमीनी स्तर पर देश के हर हिस्से में कोई न कोई प्रयास किए जा रहे हैं और इसी तरह की एक पहल पुणे में भी की जा रही है।
स्वच्छ भारत मिशन की राह में पुणे महापरिषद ने गैर सरकारी संगठनों को साथ लेकर कचरे के निपटारे के लिए कचरा बीनने वालों का सहारा लिया है। प्रशासन ने इन लोगों को इकट्ठा कर एक संगठन भी बना दिया है। कम आय वर्ग के लोगों से बना यह संगठन हर सुबह पुणें की गली, चौक-चौबारों और घरों से कचरा इकट्ठा करता है और उसे फिर से इस्तेमाल में लेने लायक बनाता है।
कल तक जिन लोगों को रोजीरोटी के लिए भी जुंझना पड़ता था आज वहीं समाज के आगे ठोस कचरा प्रबंधन की दिशा में भी नई लीक रख रहे हैं।
सभी कामगारों के काम का समय भी निर्धारित है और वेतन भी। इससे इन लोगों की जिंदगी में आमूलचूल बदलाव किया है। बीमारी से सुरक्षा हो सके इसके लिए ट्रॉली का उपयोग किया जाता है।
पुणें में कुड़ा बीनने वालों की तादात लगभग 2300 है और इनमें 80 फीसदी महिलाए हैं। हर रोज़ लाखों घरों से ये कामगार कुड़ा इक्ट्टठा करते हैं। इससे पुणें निवासी खुश है क्योकिं अब आसपास इलाके में सफाई रहती है।
स्मार्ट सिटी की राह पर आगे बढ़ रहे पुणे शहर ने कचरा प्रबंधन का एक व्यवस्थित मॉडल सभी के सामने रखा है। जिसका उद्देश्य ना सिर्फ कूड़े का निपटान करना है बल्कि उसे दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाना भी है।