गुर्दे की पथरी भी पित्ताशय (वह स्थान जहां पित्त एकत्रित होती है) की पथरी के तरह बनती है।
जब कभी गुर्दे में कैल्शियम, फास्फेट व कार्बोनेट आदि तत्त्व इकट्ठा हो जाते हैं तो वह धीरे-धीरे पथरी का रूप धारण कर लेती है।
जब तक शरीर के सभी गंदे तत्त्व मूत्र के साथ सामान्य रूप से निकलते रहते हैं तब तक सब कुछ ठीक रहता है लेकिन जब किसी कारण से मूत्र के साथ ये सभी तत्व नहीं निकलने पाते हैं तो ये सभी तत्व गुर्दे में एकत्रित होकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं।
गुर्दे की पथरी बनने पर पेशाब करते समय तेज जलन व दर्द होता है।
पथरी होने का कारण : Pathari Hone ke Karan
जो स्त्री-पुरुष खान-पान में सावधानी नहीं रखते हैं उन्हें यह रोग होता है।
अधिक खट्ठे-मीठे, तेल के पदार्थ, गर्म मिर्च-मसाले आदि खाने के कारण गुर्दे की पथरी बनती है।
जो लोग इस तरह के खान पान हमेशा करते हैं उनके गुर्दो में क्षारीय तत्त्व बढ़ जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है।
कभी-कभी मौसम के विरुद्ध आहार खा लेने से भी गुर्दे की पथरी बन जाती है।
शुरू में यह पथरी छोटी होती है और बाद में धीरे-धीरे बड़ी हो जाती है।
पथरी होने के लक्षण : पथरी बनने के पश्चात मूत्र त्याग के समय जलन होती है। कभी-कभी पेशाब करते समय इतना दर्द होता है कि रोगी बेचैन हो जाता है। गुर्दे की पथरी नीचे की ओर चलती है और मूत्रनली में आती रहती है जिससे रोगी को बहुत दर्द होता है
पथरी का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार :
1. कुल्थी : 250 ग्राम कुल्थी को साफ करके रात को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह फुली हुई कुल्थी को उसी पानी के साथ धीमी आग पर लगभग 4 घंटे तक पकाएं और जब 1 लीटर पानी रह जाए तो उतारकर इसमें 50 ग्राम देशी घी, सेंधानमक, कालीमिर्च, जीरा व हल्दी का छोंका लगाएं। यह भोजन के बाद सेवन करने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
2. लहसुन : लहसुन की पुती के साथ 2 ग्राम जवाखार पीसकर रोगी को सुबह-शाम देने से गुर्दे की पथरी बाहर निकल जाती है।
3. पपीता : 6 ग्राम पपीते की जड़ को पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर 21 दिन तक सुबह-शाम पीने से पथरी गल जाती है।
4. मेंहदी : 6 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब 150 मिलीलीटर पानी रह जाए तो छानकर 2-3 दिन पीने से गुर्दे का दर्द ठीक होता है।
5. मूली : मूली का 100 मिलीलीटर रस मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में ही गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है और दर्द शान्त होता है।
6. मक्का : मक्के के भुट्टे के 20 ग्राम बालों को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल 100 मिलीलीटर बच जाए तो छानकर पीएं। इससे गुर्दे की पथरी का दर्द ठीक होता है।
7. तुलसी : 20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन और 10 ग्राम सेंधानमक लेकर पॉउड़र बनाकर रख लें। यह 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से गुर्दे का तेज दर्द दूर होता है।
8. दालचीनी : दालचीनी का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम पाउड़र पानी के साथ खाने से गुर्दे का दर्द दूर होता है।
9. खरबूजे : खरबूजे के बीजों को छीलकर पीसकर पानी में मिलाकर हल्का सा गर्म करके पीने से गुर्दो का दर्द खत्म होता है।
10. अजवायन : अजवायन का चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
11. चौलाई : प्रतिदिन चौलाई का साग बनाकर खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
12. करेला : करेले के 20 मिलीलीटर रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से पथरी खत्म होकर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। करेले की सब्जी बनाकर रोज खाने से पथरी खत्म होती है।
13. खीरा : खीरे का रस 150 मिलीलीटर प्रतिदिन 2-3 बार पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।
14. जामुन : प्रतिदिन जामुन खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे खत्म होती है
15. सहजन : सहजन की सब्जी रोजाना खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे पेशाब के रास्ते निकल जाती है और दर्द ठीक होता है।
16. जवाखार
गाय के दूध के लगभग 250 मिलीलीटर मट्ठे में 5 ग्राम जवाखार मिलाकर सुबह-शाम पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है
जवाखार और चीनी 2-2 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ खाने से पथरी टूट-टूटकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इस मिश्रण को रोज सुबह-शाम खाने से आराम मिलता है।
17. पालक :
100 मिलीलीटर नारियल का पानी लेकर, उसमें 10 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से 14 दिनों में पथरी खत्म हो जाती है।
पालक के साग का रस 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पथरी में लाभ मिलता है।
18. अजमोद : अजमोद के फल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पथरी रोग में लाभ होता है। ध्यान रहे कि मिर्गी के रोगी और गर्भिणी को यह औषधि न दें।
19. पाठा : पाठा के जड़ के बारीक चूर्ण को गर्म पानी से छानकर रख लें। इस छाने हुए पानी को सुबह-शाम पीने से पूरा लाभ मिलता है।
20. चिरचिरी : चिरचिरी की जड़ 5 से 10 ग्राम या काढ़ा 1 से 50 मिलीलीटर सुबह-शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है। इसकी क्षार अगर भेड़ के मूत्र के साथ खाए तो पथरी रोग में ज्यादा लाभ मिलता है।
21. गोक्षुर : गोक्षुर के बीजों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन 2 बार खाने से पथरी खत्म होती है।
22. लकजन : लकजन की जड़ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पेशाब की पथरी में लाभ मिलता है।
23. बड़ी इलायची : लगभग आधा ग्राम बड़ी इलायची को खरबूजे के बीज के साथ पीसकर पानी में घोटकर सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
24. नारियल : नारियल की जड़ का काढ़ा 40 मिलीलीटर दिन में तीन बार पीने से पथरी व दर्द ठीक होता है
25. बिजौरा नींबू : बिजौरा नींबू की जड़ 10 ग्राम को पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम पिलाने से पेशाब की पथरी खत्म होती है।
26. गुलदाउदी : 10 ग्राम सफेद गुलदाउदी को पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से गुर्दे की पथरी का दर्द दूर होता है।
27. सुहागा : भुना सुहागा, नौसादर और कलमीशोरा 1-1 ग्राम पीसकर दर्द के समय आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के 2-3 चम्मच रस के साथ रोगी को देने से दर्द ठीक होता है।
28. फिटकरी : भुनी हुई फिटकरी 1-1 ग्राम दिन में 3 बार रोगी को पानी के साथ सेवन कराने से रोग ठीक होता है।
29. अदरक : अदरक का रस 10 मिलीलीटर और भुनी हींग 120 ग्राम पीसकर नमक मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
30. अजमोद : 25 ग्राम अजमोद को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें और आधा रह जाने पर ठंड़ा करके आधा या 2 कप 3-3 घंटे के अन्तर पर रोगी को पिलाएं। इससे दर्द तुरन्त समाप्त हो जाता है।
31. कमलीशोरा : कमलीशोरा, गंधक और आमलासार 10-10 ग्राम अलग-अलग पीसकर मिला लें और हल्की आग पर गर्म करने के 1-1 ग्राम का आधा कप मूली के रस के साथ सुबह-शाम लेने से गुर्दे की पथरी में लाभ मिलता है।
32. काला जीरा : काला जीरा 20 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम और काला नमक 5 ग्राम को एक साथ पीसकर सिरके में मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम लेने से आराम मिलता है।
33. आलू : एक या दोनों गुर्दो में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से रोकता है।
34. अनन्नास : अनन्नास खाने व रस पीने से पथरी रोग में बहुत लाभ होता है।
पथरी बन्ने के कारण व उससे छुटकारा पाने के असरकारक प्रयोग | Kidney Stones: Causes,
शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है .
धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय परगर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।
कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचारहै-
उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध वपानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ
– महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का
सेवन कराने में पथरीटूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
– गोमूत्र के सेवन से भी पथरी टूट कर निकल जाती है .
– पुनर्नवा अर्क या पुनर्नवा टेबलेट का प्रयोग
– मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारीविकृतियाँ दूर होती हैं ।
– गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्वलेने से पिशाब खुलकरआता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है
– खूब पानी पिए .
– कपालभाती प्राणायाम करें .
– हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट कम ले
– रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .
– यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .
– मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
– ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।
– मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .
– नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरीहोने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
– 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दोचम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
– पका हुआ जामुन पथरीसे निजात दिलाने मेंबहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
– बथुआ की सब्जी खाए .
– आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है।आंवला का चूर्ण मूलीके साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
– जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
– सहजन की सब्जी खानेसे गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।
– मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पीजिए। पथरीनिकल जाएगी।
– चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
– तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
– जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
– बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जातीहै। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा
पित्त की पथरी के लिए 28 असरकारी घरेलू उपचार | Best Natural Remedies for Gallstones in hindi
परिचय :
पित्ताशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता हैं) में कोई पदार्थ जब जमकर पथरी का रूप धारण कर लेती है तो उसे ही पित्त की पथरी कहते हैं। ये पथरी जब एक पित्ताशय में होती है। तब तक तो यह कोई दर्द नहीं करती मगर जब यह पित्त नली से निकलने लगती है तब यह बहुत दर्द करता है
कारण :
जब ज्यादा वसा से भरा पदार्थ यानी घी, मक्खन, तेल वगैरह से बने पदार्थ का सेवन करते हैं तो शरीर में कोलेस्ट्रोल, कैल्शियम कार्बोनेट और कैल्शियम फांस्फेट के अधिक बनने से पित्ताशय में पथरी का निर्माण होता है। रक्त विकृति के कारण छोटे बच्चों के शरीर में भी पथरी बन सकती है। पित्ताशय में पथरी की बीमारी से स्त्रियों को ज्यादा कष्ट होता है। 30 वर्ष से ज्यादा की स्त्रियां गर्भधारण के बाद पित्ताशय की पथरी से अधिक ग्रस्त होती हैं। कुछ स्त्रियों में पित्ताशय की पथरी का रोग वंशानुगत भी होता है। खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होने पर कैल्शियम के मिलने से पथरी बनने लगती है।
लक्षण :
पेट के ऊपरी भाग में दायीं ओर बहुत ही तेज दर्द होता है और बाद में पूरे पेट में फैल जाता है। लीवर स्थान बड़ा और कड़ा और दर्द से भरा होता है। नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। शरीर ठंड़ा हो जाता है, मिचली और उल्टी के रोग, कमजोरी (दुर्बलता), भूख की कमी और पीलिया रोग के भी लक्षण होते हैं। इसका दर्द भोजन के 2 घण्टे बाद होता है इसमें रोगी बहुत छटपटाता है।
भोजन तथा परहेज :
गाय का दूध, जौ, गेहूं, मूली, करेला, अंजीर्ण, तोरई, मुनक्का, परवल, पके पपीता का रस, कम खाना, फल ज्यादा खाना और कुछ दिनों तक रस आदि का प्रयोग करें।
चीनी और मिठाइयां, वसा और कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें- इस रोग में कदापि सेवन न करें। तेल, मांस, अण्डा, लाल मिर्च, हींग, उड़द, मछली और चटपटे मसालेदार चीजें, गुड़, चाय, श्वेतसार और चर्बीयुक्त चीजें, खटाई, धूम्रपान, ज्यादा मेहनत और क्रोध आदि से परहेज करें।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. अजमोदा : पित्त की पथरी ( pitt ki pathri ) में अजमोदा फल का चूर्ण 1 ग्राम से 4 ग्राम सुबह-शाम देने से फायदा होता है। मगर यह मिर्गी और गर्भवती महिला को नहीं देना चाहिए
2. पथरचूर
पथरचूर का रस चौथाई से 5 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से धीरे-धीरे पथरी खत्म हो जाती है।
पाथरचूर का रस 5 से 6 बूंद शर्करा के साथ खाने से पथरी में लाभ होता ह
पथरचूर का रस 5 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम खाने से धीरे-धीरे पथरी खत्म हो जाती है
3. मजीठा : मजीठा को कपड़े से छानकर 1 ग्राम को रोज 3 बार खाने से सभी तरह की पथरियां गलकर मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाती हैं। इससे फायदा न होने पर ऑपरेशन क्रिया की राय ले सकते हैं।
4. छोटा गोखरू : छोटा गोखरू का चूर्ण 3 ग्राम से 6 ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ खाने से और ऊपर से बकरी का दूध सिर्फ 7 दिनों तक पीने से ही पथरी दूर हो जाती है।
5. गोखरू :
<> गोखरू के काढ़े में, कलमीसोरा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1.20 ग्राम सुबह-शाम पिलाने से पथरी रोग में लाभ होता है।
<> गोखरू के बीजों के चूर्ण को शहद के साथ भेड़ के दूध में मिलाकर पिलाने से पथरी खत्म होकर निकल जाती है।
6. बड़ी इलायची : बड़ी इलायची लगभग आधा ग्राम को खरबूजे के बीज के साथ पीसकर खाने से पथरी रोग में फायदा होता है।
7. भटकटैया : भटकटैया, रेंगनीकांट की जड़ बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करके 2 ग्राम सुबह-शाम मीठे दही के साथ मात्र 7 दिनों तक पीने से पथरी रोग में फायदा होता है।
8. धतूरे : धतूरे के बीज 0.06 से 0.12 ग्राम दही के साथ खाने से दर्द कम हो जाता है और उल्टी भी नहीं होती है। इसके प्रयोग से पहले धतूरे के बीज को 12 घंटे तक गाय के मूत्र में या दूध में उबालकर शोंधन कर लें। इससे पथरी में लाभ होगा।
9. सहजना : सहजना की जड़ की छाल का काढ़ा और हींग को सेंधानमक में मिलाकर सुबह-शाम खाने से पित्तपथरी ( pitt ki pathri )में फायदा होता है।
10. अपामार्ग : पित्त की पथरी में अपामार्ग की जड़ 5 से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम लेने से पथरी में लाभ होता है। काढ़ा अगर गरम-गरम ही लें तो लाभ होगा।
11. नारियल : नारियल के जड़ का काढ़ा 40 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से पित्त की पथरी या किसी भी तरह की पथरी में लाभ होता है।
12. पालक : पालक के साग का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक खाने से पित्त की पथरी या किसी भी तरह की पथरी खत्म हो जाती है।
13. मूली : पित्त की पथरी के रोगी को सुबह-शाम मूली के पत्तों का रस 20 से 40 मिलीलीटर सेवन करने से लाभ होता है।
14. गाजर : गाजर का रस पीने से पथरी टूटकर निकल जाती है।
15. नींबू : गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से पथरी में आराम मिलता है।
16. सेब का सिरका : सेब का सिरका यानि ACV यानि apple cider vinegar में अम्लीय गुण पाए जाते हैं जो की लीवर को कोलेस्ट्रॉल बनाने से रोकते हैं| साथ ही यह सिरका पथरी को घोलने में मदद करता है और पथरी के दर्द से भी राहत दिलवाता है|
पथरी को घोलने के लिए और दर्द से छुटकारा पाने का एक आसान नुस्खा ये है के एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच निम्बू का रस और 2 चम्मच सेब का सिरका मिलाकर रोजाना सुबह खली पेट पीयें|
17. सोंठ :
6 ग्राम पिसी हुई सोंठ में 1 ग्राम नमक को मिलाकर गर्म पानी से फंकी लेने से पथरी में लाभ होगा।
सोंठ, वरूण की छाल, रेड़ के पत्ते और गोखरू का काढ़ा बनाकर सुबह खाने से पथरी जल्दी खत्म हो जाती है।
18. वरूण :
वरूण के पेड़ की छाल का काढ़ा पिलाने से पित्ताशय की पथरी ( pitt ki pathri ) खत्म होकर निकल जाती है।
वरूण की छाल, सोंठ और गोखरू का काढ़ा बनाकर पीने से पथरी खत्म होती है।
19. इन्द्रायण : इन्द्रायण की जड़ और कुलथी का काढ़ा बनाकर पीने से पथरी के रोग में बहुत लाभ होता है।
20. सोडा वाटर : एक कप सोडा वाटर के पानी में 2 चम्मच ग्लिसरीन डालकर रोज दोपहर और शाम को कुछ दिनों तक खाने से पथरी में लाभ होगा।
21. इमली : लगभग आधा से एक ग्राम इमली रस सुबह-शाम यवक्षार से घुले ताजे पानी के साथ लेने से पथरी खत्म हो जाती है। यह अजीर्ण और पेशाब की परेशानी को भी दूर करता है।
22. कदली (केला) : कदली क्षार और तिल क्षार प्रत्येक को 0.24 ग्राम से 1.08 ग्राम शहद में मिलाकर रोज 3 से 4 बार खाने से सब तरह की पथरी खत्म होती है।
23. केला :
<> केले के पेड़ के तने के रस में थोड़ी-सी मिश्री को मिलाकर पीने से कुछ दिनों में ही पथरी खत्म होकर निकल जाती है।
<> केले के तने का रस 30 मिलीलीटर, कलमी शोरा 25 मिलीलीटर दूध में मिलाकर पिलाने से पथरी खत्म हो जाती है।
24. कड़वी तुंबी : कड़वी तुंबी का रस और यवक्षार मिलाकर मिश्री डालकर पीने से पथरी खत्म होती है।
25. अंगूर का रस : रोज 200 मिलीलीटर अंगूर का रस पीने या अंगूर खाने से पित्ताशय की पथरी ( pitt ki pathri )में बहुत ही फायदा होता है।
26. सीताफल : सीताफल के 25 ग्राम रस में सेंधानमक मिलाकर रोज पिलाने से पथरी खत्म होकर निकल जाती है।
27. अरहर : अरहर के पत्ते 6 ग्राम और संगेयहूद 0.48 ग्राम को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर पीने से पथरी में बहुत ही फायदा होता है।
28. प्याज : प्याज, लहसुन, सरसों, महुआ और सहजन की छाल को पानी के साथ पीसकर, पित्ताशय के ऊपर लेप करने से सूजन और दर्द दूर होता है और इससे पथरी में लाभ होगा।
पथरी के लिए..
अकरकरा ,संभालू के बीज, गोखरू चूर्ण, तुलसी के पत्ते, पाषाण भेद ,पिपली, मुलेठी, कास (कासला) का जड़, लौंग, सोंठ सब बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख ले।
1गिलास पानी मे 12 से 15 ग्राम चूर्ण डालकर काढ़ा बना ले ।काढ़ा बनाते समय 1 ,2 इलायची का चूर्ण भी मिलाये।
सुबह दोपहर शाम दे।
गुलहड़ (उड़हुल) के फूल का पाउडर 1 चम्मच सुबह शाम सादे पानी से ले इसके लेने पर पेट मे दर्द होगा वो दर्द पथरी के टूटने के कारण होता है पानी का सेवन अत्यधिक मात्रा में करें
कुल्थी के दाल का पानी पिये व इसकी दाल बनाकर खाये
छुई-मुई की 10 मिलीलीटर जड़ का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।लाजवन्ती (छुई-मुई) के पंचांग का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इसके काढ़े से पथरी घुलकर निकल जाती है।
पाषाण भेद का काढ़ा पिये दिन में 3 बार 15 से 20 दिन।
होमेओपेथी की berveriss velgeriss Q की 10 से 15 बूंद चौथाई कप पानी मे दिन में 3 बार पिये 30 से 45 दिन
पथरी निकल जाने के बाद भविष्य में पथरी न हो इसके लिए होमेओपेथी की Chinia 1000 की 2 2 बूंद सिर्फ एक दिन 2 बार ले ।