टीवी पे एक ऐड देखी मां बाप और उनकी 18 साल के करीब की लड़की शोपिंगमोल में कपड़े खरीद रहे है तभी उनकी लड़की एक सिंगल पीस ड्रेस पहन के अपने मां बाप से पूछती है कि कैसी लग रही हूं कपड़ा वाकई में बोहोत छोटा होता है तभी उसका पापा बोलता है कि कुछ ज्यादा छोटा नहीं है तभी उसकी मां बोलती हैं जच रही हो बेटी ओर बाप को ताना मार के बोलती है सोच बडी करो कपड़े नहीं और फिर लिखा होता है सोच बदलो
अब हम तो अपनी सोच बदल ले पर जो तुम इतनी छोटी ड्रेस पहन रही हो उसके पीछे आपकी सोच क्या है वो हमें बताएं कल को एड में लड़की नंगी घूमती दिखाकर कहेंगे की सोच बदलो हम तो सोच बदले पर तुम्हारी नंगे घूमने के पीछे क्या सोच है वो तो बताओ
इनके हिसाब से सोच बडी करने। का पैमाना कि बाप भाई अपनी बहन बेटी को अर्धनग्न कपड़ों में देख के गर्व महसूस करके अपनी सोच बडी होने का प्रमाण दे और अगर उनको कपड़े छोटे पहनना आगे बढ़ना ओर मॉडर्न होना लगता है तो सरूवाती इंसान नगन घुमा करते थे फिर उन्होंने अपनी सोच बडी की ओर पत्तो से तन को ढकने लगे फिर उन्होंने अपनी सोच और बड़ी की फिर जाकर पूरे शरीर को ढकने के लिए कपड़ों का निर्माण किया पर आज सब उल्टा होने लगा है अब वापिस आधे कपड़े पहनने को बडी सोच माना जा रहा है क्यू माना जा रहा हैं किसी को पता नहीं सिर्फ भेड़ चाल अगर और बड़ी सोच कर दी तो पक्का आने वाली पीढ़ी नंगे घूम कर ऊंची सोच का प्रमाण देगी
और मुझे मेरी छोटी सोच पसंद है