सिखों के दसवें गुरू गोबिन्द सिंह जी के चार शहीद सुपुत्रों को याद करने के लिए दिल्ली में हुआ राष्ट्रीय कार्यक्रम। सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने चारों साहिबजादों की इंसाफ के लिए शहादत की कहानी देश के कोने-कोने तक पहुंचाने पर दिया ज़ोर।
सिख समुदाय का इतिहास शौर्य, साहस, शहादत और त्याग की बेमिसाल कहानियों से भरा पड़ा है। दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह ने तो कौम के लिए अपने चारों बेटों का बलिदान दे दिया। बलिदान और शौर्य की इसी गाथा को याद करते हुए दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
दिल्ली में सिखों के दसवें गुरू गोबिन्द सिंह जी के चार शहीद सुपुत्रों को याद करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल और दूसरे गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर स्मृति ईरानी ने कहा कि इन चार साहिबजादों की इंसाफ के लिए शहादत की कहानी देश के कोने-कोने तक पहुंचनी चाहिए।
इस मौके पर डीएसजीपीसी के अध्यक्ष ने कहा कि चार साहिबजादों का इतिहास बच्चों को पढ़ाना बेहद जरूरी है, इसके लिए इन्हें पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए। दरअसल गुरुगोबिन्द सिंह के चार साहिबजादे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह चमकौर के युद्ध में दिसंबर 1704 में शहीद हो गए थे।
चमकौर का युद्ध 1704 में गुरु गोविंद सिंह और वजीर खान की अगुआई में मुगलों की सेना के बीच पंजाब के चमकौर में लड़ा गया था। इस युद्ध में मुगलों की विशाल सेना के सामने सिख सेना थी। सिखों ने बहुत ही वीरता से लड़ते हुए मुग़लों को भारी क्षति पहुँचाई। गुरुजी को दो पुत्र लड़ाई में शहीद हुए जबकि अन्य दो को पकड़ लिया गया, जिन्हें भी बाद में मुगलों ने शहीद कर दिया, लेकिन मुगल सेना गुरु गोबिन्द सिंह जी को नहीं पकड़ पाई।