संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री सचिन पायलट ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि अवांछित वाणिज्यिक संचार पर रोक लगाने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 5 जून, 2007 को दूरसंचार अवांछित वाणिज्यिक संचार विनियम, 2007 अधिसूचित किया जिसके द्वारा अवांछित वाणिज्यिक संचार पर नियंत्रण हेतु एक व्यवस्था की गई। इस विनियम में एक ‘नेशनल डू नॉट कॉल रजिस्ट्री’ स्थापित करने का प्रावधान किया गया जिसमें जो ग्राहक अवांछित वाणिज्यिक संचार (यूसीसी) प्राप्त नहीं करना चाहते वे इस संबंध में पंजीकरण करा सकते हैं। उक्त व्यवस्था को और अधिक कारगर बनाने के लिए ट्राई ने तदनंतर दिनांक 17 मार्च, 2008 को दूरसंचार अवांछित वाणिज्यिक संचार (संशोधन) विनियम, 2008 (2008 का 1) जारी करते हुए इन विनियमों में संशोधन किया था और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर विनियामक उपबंधों का अनुपालन न करने के लिए आर्थिक दंड लगाया गया था। मुख्य विनियमों को दिनांक 21 अक्तूबर, 2008 के दूरसंचार अवांछित वाणिज्यिक संचार (द्वितीय संशोधन) विनियम, 2008 के माध्यम से और संशोधित किया गया था जिसमें उपभोक्ता नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाना, यूसीसी से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए प्रणाली को सरल बनाना और विनियामक उपबंधों का अनुपालन न करने वाले अभिगम प्रदाताओं पर आर्थिक दंड लगाना शामिल हैं।
दूरसंचार वाणिज्यिक संचार उपभोक्ता तरजीह विनियम, 2010 के उपबंधों के अनुसार, 15 जनवरी, 2011 से टेलीमार्केटरों का पंजीकरण आरंभ कर दिया गया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता तरजीह रजिस्ट्री (एनसीपीआर) पर उपभोक्ता तरजीह का पंजीकरण 10 फरवरी, 2011 से शुरू हो गया है। विनियम के अन्य उपबंध 1 मार्च, 2011 से प्रभावी होंगे।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्रार्इ) ने दूरसंचार अवांछित वाणिज्यिक संचार विनियम, 2007 (यथा संशोधित) के अंतर्गत अवांछित वाणिज्यिक संचार (यूसीसी) के लिए 8 सेवा प्रदाताओं पर आर्थिक दंड लगाया है।