संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री सचिन पायलट ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि दूरसंचार विभाग ने बेस स्टेशनों और मोबाइल फोनों से विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्र (ईएमएफ) विकिरण के प्रभाव की जांच करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति गठित की है जिसमें दूरसंचार विभाग, भारतीय अनुसंधान परिषद, स्वास्थ्य मंत्रालय, जैव-प्रौद्योगिकी विभाग और पर्यावरण और वन मंत्रालय के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रयोगशाला में किए गए अधिकांश अध्ययनों से रेडियो आवृत्ति विकिरण के प्रभाव और स्वास्थ्य के बीच किसी सीधे जोखिम का पता नहीं चल सका, और वैज्ञानिक अध्ययनों से अभी तक रेडियो आवृत्ति विकिरण और स्वास्थ्य के बीच कारण और प्रभाव के किसी संबंध की पुष्टि नहीं हो सकी है। सेल फोन टॉवरों से उत्सर्जन के प्रभाव का अभी तक सुनिश्चित तौर पर पता नहीं चल पाया है। इसके अतिरिक्त, समिति ने कतिपय सुरक्षा उपायों का सुझाव भी दिया है।आईएमसी की रिपोर्ट पर स्टेकधारकों से फीडबैक प्राप्त करने के लिए इसे दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर डाला गया है। स्टेकधारकों से प्राप्त होने वाली टिप्पणियों के आधार पर, दूरसंचार विभाग इस मामले में उपयुक्त कार्रवाई करेगा।दूरसंचार विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गैर-आयनीकृत विकिरण संरक्षण आयोग (आईसीएनआईआरपी) द्वारा निर्धारित विद्युत-चुंबकीय विकिरण संबंधी मानदडों को अपनाया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, दूरसंचार विभाग ने, दिनांक 8 अप्रैल, 2010 के पत्र सं0 800-18/2010-वीएएस के द्वारा सभी सेल्युलर मोबाइल टेलीफोन सेवा (सीएमटीएस)/एकीकृत अभिगम सेवा (यूएएस) के लाइसेंसधारकों को विद्युत चुंबकीय क्षेत्र (ईएमएफ) विकिरण संबंधी मानदंडों को पूरा करने के लिए अपने बेस ट्रांसमिटिंग स्टेशन (बीटीएस) के स्व–प्रमाणन पत्र के जरिए आईसीएनआईआरपी द्वारा निर्धारित संदर्भ्सीमाओं/स्तरों का अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं।