रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य- मंत्री श्री श्रीकांत कुमार जेना ने आज राज्य् सभा में एक प्रश्नो के लिखित उत्तरर में बताया कि कीटनाशी, यदि कीटनाशी अधिनियम, 1968 की धारा 5 के अधीन गठित पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित लेबल दावों के अनुरूप प्रयोग में लाई जाती हैं, तो वे खाद्य सुरक्षा के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करती हैं अथवा किसी तरह प्रभावित नहीं करती हैं। कीटनाशकों का पंजीकरण उत्पादों की जैव प्रभाविकता, रसायन एवं मानव जाति के लिए सुरक्षा आदि के संबंध में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुरूप वृहद आंकड़ों के मूल्यांककन के पश्चात किया जाता है। उत्पाद की सामग्री/अवयवों की जांच, पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित दिशा-निर्देशों के अनुरूप मानव एवं पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल टॉक्सीअकोलोजी के दृष्टिकोण से की जाती है।
तथापि, कीटनाशकों के दुरूपयोग अथीवा गलत प्रयोग के कारण स्वाषस्य्त एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। अत: केन्द्र एवं राज्यव सरकार कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग के लिए किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करती है। किसानों को अनुशंसित मात्रा में कीटनाशकों की पंजीकृत गुणवत्ता का प्रयोग करने और लेबल एवं लीफलेट में दी गई अपेक्षित सावधानियां एवं अन्यत निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है।