उत्तराखंड में पिछले एक हफ्ते में चार घटनाएं और चारों ही अलग किरदार।
1- अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में जहां एक मुस्लिम युवक द्वारा 8 साल की बच्ची का अपहरण किया गया पर सौभाग्यवश जनता की जागरूकता से पुलिस ने लड़की को सकुशल बरामद किया एवं अपराधी को जेल की सलाखों में भेजा,
2- पौड़ी जिले की जहां एक स्थानीय युवक द्वारा एक स्थानीय युवती को सरेआम जलाकर निर्ममता से जलाकर हत्या की गई,
3- तीसरी घटना कर्णप्रयाग की है जहां बाहरी प्रदेशों से आए हुए तीन कूड़ा-कबाड़ बीनने वाले युवकों ने नारायणबगड़ क्षेत्र की रहने वाली BA की छात्रा को जो कि अपने किसी परिचित युवक के साथ रास्ते में बैठी हुई थी, पहले तीनों ने हथियार की नोंक पर युवक की पिटाई की एवं उसे भगाकर लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
4- देहरादून में तीन मुस्लिम युवक साथियों द्वारा दिनदहाड़े लड़की को घायल कर अपहरण करने दु:स्साहस प्रयास, पर जनता की जागरूकता से लड़की बची
यह चारों घटनाएं यह बताने के लिए काफी है कि उत्तराखंड कहां जा रहा है।आज मैं बहुत दुःखी हूं और इस दुःख को आपके साथ बांट रहा हूं कि आप सभी मेरा मार्गदर्शन करें कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जाए। इन तीनों घटनाओं पर पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी जी से मिले और वह भी इन घटनाओं से बहुत आहत नजर आए।
देवभूमि वासियों यह वही उत्तराखंड है जहां मां बहिनों अपने जीवन का आधा समय वीरान जंगलों में अकेले ही बिना भय के घास, लकड़ी और जानवरों के साथ व्यतीत करती थी और तब भी सुरक्षित थी, पर आज यह, वह उत्तराखंड है ही नहीं। कितनी बड़ी विडंबना है कि जिस राज्य को बनाने के लिए मां बहिनों ने पता नहीं कितनी प्रताड़ना सही और कितने लोगों ने कुर्बानियां दी आज उन्हीं मां बहिनों की बेटियों को अपने ही घर पर घोर जुल्मों का शिकार होना पड़ रहा है, सोचिए कि आज उत्तराखंड कहां जा रहा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारी संस्कृति, सभ्यता एवं परम्पराओं में कोई कमी आई हो। मेरी आप से करबद्ध प्रार्थना है कि पुनः एक बार सब लोग आपसी भेदभाव एवं राजनीतिक प्रतिद्वंद्विताओं को दरकिनार करते हुए देवभूमि में पनपने वाले इन दैत्यों को जड़ से मिटाने का संकल्प लेना ही होगा, आपका विचार इस पोस्ट पर इन घटनाओं को उत्तराखंड में रोकने एवं देवभूमि की संस्कृति, सभ्यता एवं परम्पराओं को बचाने के लिए संजीवनी समान होगा।
आपका स्वामी दर्शन भारती