कोबिड -19 के बाद उत्तरांचल उत्थान परिषद ने प्रवासी युवाओं के मध्य ऑन लाइन सर्वे के माध्यम से 46 सम्भावित व्यवसायों में से अपनी पसंद के कोई 2 व्यवसाय चुनने को कहा था जिसमे सर्वाधिक प्रतिभागियों ने ” होटल ढाबे के संचालन ” को अपनी पहली पसंद बताया , स्वाभाविक ही है कि तीर्थाटन एवं पर्यटन के राज्य में यह व्यवसाय प्रथम स्थान पर रहेगा किन्तु विचारणीय विषय यह है कि देश भर के श्रद्धालु तीर्थ यात्री जब उत्तराखंड चार धाम की यात्रा पर आते हैं तब वे अपना भोजनालय साथ लेकर चलते हैं ,वे ज्यादातर यहां का भोजन या चाय नही पीते हैं क्यों ? क्योंकि वे देवभूमि में लटकते हुए मुर्गों को देखने या खाने के लिए नहीं आते इस लिए वे अपना भोजनालय अपनी गाड़ी में साथ ले कर चलते हैं, देखा जाय तो यदि कोई यात्री यहां आकर कुछ खर्च नही करता तो ऐसी यात्रा का यहां की आर्थिकी को कोई लाभ नही है । हमे यात्रियों की अपेक्षा को समझना होगा तथा उन्हें यात्रा मार्गों पर सात्विक भोजन की व्यवस्था देनी होगी ।
यात्रा मार्गों पर अंडे, मीट मांस , शराब की विक्री प्रतिबंधित करनी होगी । सात्विक वैष्णव भोजनालयों का संचालन एवं उनका व्यापक प्रचार प्रसार भी करना होगा । प्रवासी बेरोजगार युवा ध्यान दें ! उत्तराखंड में होटल व्यवसाय के उत्तम भविष्य को देखते हुए बड़े बड़े प्रतिष्ठान बड़ी मात्रा में यहां भूमि खरीद रहे हैं और अंत मे हमारी नियति उन होटलों में नोकरी करने की ही होगी । इस लिए अपनी भूमि को बेचिए नही बल्कि अपने होटल शुरू करिये तभी स्वरोजगार विकसित होगा और देवभूमि से पलायन भी रुकेगा । राम प्रकाश पैन्यूली स्वरोजगार समन्वय समिति उत्तराखंड