इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में रोबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के खिलाफ लगाये गए गंभीर आरोपों के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर रिट याचिका में आज हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है. जस्टिस उमा नाथ सिंह और जस्टिस वी के दीक्षित के बेंच ने आज दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित किया.
नूतन ने अपनी याचिका में रोबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के खिलाफ लगाये गए गंभीर आरोपों के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जांच कराये जाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि रोबर्ट वाड्रा तथा डीएलएफ द्वारा सीधे तौर पर इंकार करने के बाद भी अभी कई सारे प्रश्न अनुत्तरित हैं, अतः इनके विषय में अधिकृत अधिकारियों द्वारा जांच कराई जाये.
प्रतिवादी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से प्रस्तुत शपथपत्र में उनके प्रत्यावेदन पर विचार करने तथा जांच कराये जाने की जरूरत नहीं बतायी गयी है. प्रधानमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव धीरज गुप्ता की तरफ से दायर शपथपत्र में इस पूरे मामले को दो व्यक्तियों के बीच का व्यक्तिगत व्यावसायिक मामला बताया गया है. शपथपत्र में यह भी कहा है कि इस मामले में सम्बंधित पक्षों ने सफाई दे दी है और इन परिस्थितियों से प्रतीत होता है कि लगाए गए सभी आरोप गलत और बेबुनियाद हैं.
धीरज गुप्ता की ओर से दायर इस शपथपत्र में नूतन की याचिका को बिना किसी आधार के मात्र अखबारों की खबरों पर आधारित तथा पब्लिसिटी हासिल करने हेतु बताया है.
नूतन ने इसके उत्तर में कहा कि इस शपथपत्र में इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की गयी कि उनके द्वारा प्रधानमंत्री को प्रेषित प्रत्यावेदन पर अब तक क्या कार्यवाही की गयी है.
आज याची की ओर से अधिवक्ता अशोक पाण्डेय तथा भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल मोहन पाराशरन से पक्ष प्रस्तुत किये.