निलंबित डिप्टी एसपी विजय कुमार शर्मा के निलंबन आदेश दिनांक 29 अक्टूबर 2012 में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा साफ़ तौर पर दोहरे मापदंड अपनाए गए दिखते हैं. निलंबन आदेश में लिखा है कि “आज श्री विजय कुमार शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर इलेक्ट्रोनिक मीडिया के समक्ष कैमरे के सामने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर वेतन नहीं देने के सम्बन्ध में भ्रष्टाचार सम्बंधित कतिपय आधारहीन, मनगढंत, मिथ्या आरोप लगाए हैं.”
शर्मा द्वारा डीजीपी, यूपी पर लगाए गए आरोप जिस दिन टीवी पर प्रसारित हुए उसी दिन उन्हें निलंबित कर दिया गया. उन आरोपों के बारे में उनसे ना कोई पूछताछ की गयी, ना ही उन्हें कोई सबूत रखने का मौका दिया गया. इस तरह डीजीपी कार्यालय तथा गृह विभाग द्वारा स्वयं यह मान लिया गया कि शर्मा द्वारा लगाए गए आरोप आधारहीन, मनगढंत और मिथ्या हैं. यह सीधे तौर पर एकपक्षीय और गलत निष्कर्ष है जिसमे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों की पूरी तरह अवहेलना की गयी है.