सहारा इंडिया परिवार तथा सुब्रत राय सहारा द्वारा दिनांक 17 मार्च 2013 को प्रमुख समाचारपत्रों में प्रकाशित पूरे पृष्ठ के विज्ञापन को विधि-विरुद्ध बताती एक जनहित याचिका आज इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में दायर हुई है. याचिका आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने दायर किया है.
याचिका में कहा गया है कि एक निजी व्यक्ति और एक निजी संस्था ने विधि द्वारा स्थापित संस्था सेबी, जो निवेशकों के हितों और शेयर बाज़ार पर नियंत्रण रखने के लिए बनायी गयी है, के विरूद्ध विज्ञापन के माध्यम से स्पष्टतया आपत्तिजनक बातें कही हैं. इस विज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर कार्यरत जस्टिस बी एन अग्रवाल के कार्यों की भी निंदा की गयी है जबकि सेबी और जस्टिस अग्रवाल मात्र अपने शासकीय दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं. साथ ही प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन भी है, अतः यदि उन्हें कोई बात कहनी थी तो वे इसे सुप्रीम कोर्ट में कह सकते थे.
विज्ञापन के माध्यम से इस प्रकार खुलेआम आपत्तिजनक बातें करना यह प्रथमद्रष्टया धारा 186 तथा 189 आईपीसी के अंतर्गत आपराधिक कृत्य और कंपनी क़ानून का उल्लंघन प्रतीत होता है.
अतः अमिताभ और नूतन ने प्रार्थना की है कि ऐसे समस्त विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए जो किसी संवैधानिक अथवा विधिक संस्था की इस प्रकार विज्ञापन के माध्यम से निंदा करें. साथ ही इस कृत्य की जांच करा कर सहारा इंडिया परिवार तथा सुब्रत राय के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही कराई जाए.
याचिका की सुनवाई परसों (22 मार्च ) चीफ जस्टिस शिव कीर्ति सिंह और जस्टिस डी के अरोरा की बेंच के सामने संभावित है. याची के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय हैं.