उतरप्रदेश : बेसहारा बच्चों के लिए काम करने वाली शचि सिंह ने उत्तर प्रदेश में चिल्ड्रेन फ्रेंडली पुलिस स्टेशन बनाने का संकल्प लिया है
बच्चे देश का भविष्य होते है। किसी भी देश की तरक्की के लिए जरुरी है कि देश के बच्चो को ना सिर्फ सही सेहत बल्कि सही शिक्षा भी मिले। ये हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है कि हम बेसहारा गरीब बच्चों के लिए जो कुछ बन सके जरुर करें। कुछ ऐसा ही कर रही है लखनऊ की शचि सिंह। शचि सिंह ने महज 16 साल की उम्र में ही अपने घर के आसपास और चारबाग रेलवे स्टेशन पर रहने वाले गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाना शुरू कर दिया था।
कुछ साल बाद उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए ‘एहसास’ नाम की एक संस्था शुरू की और अब इसी कड़ी में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यूपी में चिल्ड्रेन फ्रेंडली पुलिस स्टेशन बनाने का संकल्प लिया है। शचि सिंह का सपना यूपी के सभी जिलों के पुलिस स्टेशनों के अंदर ऐसा माहौल बनाने का है जो बच्चों के लिए दोस्ताना हो ताकि वो खुद ही अपने साथ हो रहे अन्याय की रिपोर्ट दर्ज कराने में डरे ना। इसके अलावा पुलिस भी सही तरीके से उनकी शिकायतों को फॉलो करके उसका समाधान करे।
शचि सिंह ने यूनीसेफ के साथ मिलकर सूबे के कुछ जिलों में मॉडल चिल्ड्रेन फ्रेंडली पुलिस स्टेशन बनाने का काम शुरू किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लखनऊ में पुलिसकर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग और वर्कशाप के जरिए बच्चों से बेहतर तरीके से संवाद स्थापित करने के टिप्स दिए जा रहे है। पुलिस स्टेशन के माहौल को बच्चों के हिसाब से बदला गया है। ताकि अगर कोई बच्चा यहां आकर अपने साथ हो रहे किसी अपराध की रिपोर्ट लिखाना चाहे, तो वो डरे नहीं ।
सिर्फ पुलिस स्टेशन ही नही बल्कि शचि सिंह ने रेलवे स्टेशनों पर ही अपना संसार बसाने वाले बच्चों के लिए भी पहल शुरू की है। भारत में हजारों बच्चे रेलवे स्टेशनों पर अकेले और जोखिम भरे हालातों में पाए जाते हैं। ऐसे बच्चों को छत, भोजन और सुरक्षा के साथ उनके सपनों को पंख देने की मुहिम भी शचि सिंह ने छेड़ी है। और इसके लिए रेलवे स्टेशन पर एक सहायक बुथ बनाया गया है जहा 24 घंटे बच्चो की निगरानी रखी जाती है और अगर कोई अकेला बच्चा नजर आता है तो उनकी टीम उन बच्चो की विधिवत पुछ ताछ करती और उसके परिजनो से संपर्क करती है ।
दरअसल शची सिंह ने साल 2000 में चारबाग रेलवे स्टेशन के आसपास स्लम में रहने वाले, बोतल बीनने वाले और भीख मांगने वाले बच्चों को इकट्ठा करके उन्हें पढ़ाना शुरू किया। और बस इसी के साथ शुरु हुआ लखनउ के चारबाग रेलवे स्टेशन को देश का पहला बाल सहायक रेलवे स्टेशन बनाने का सफर। शची सिंह प्रेरणा हैं अन्य लोगों के लिए के हम आप सभी ऐसा माहौल बनायें जो चाहे रेलवे स्टेशन हो या पुलिस स्टेशन, हर जगह बच्चो के लिए दोस्ताना हो, बच्चो के लिए अनुकूल हो।