यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज दिनांक 21/11/2012 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दायर करते हुए धारा 66ए इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट 2000 की वैधता को चुनौती दी है. रिट याचिका में कहा गया है कि इस धारा में जिस प्रकार की व्यापकता तथा विस्तार दिया गया है उससे उसके दुरुपयोग होने की प्रबल सम्भावना रहती है. याचिकर्ता का कहना है कि यह धारा 2000 के मूल अधिनियम में नहीं था बल्कि 2008 के संशोधन द्वारा लाया गया था. इस धारा में किसी भी मैसेज, डाटा या सूचना के किसी के द्वारा गलत या आक्रामक या भयोत्पादक लगने अथवा किसी को उस मैसेज या डाटा से परेशानी, अपमानित, कष्ट, असुविधा होने की दशा में तत्काल कोई व्यक्ति तीन साल तक की सजा का हक़दार हो सकता है. याचीगण का कहना है कि इस अधिनियम में कहीं भी गलत, आक्रामक, भयोत्पादक, परेशानी, अपमानित, कष्ट, असुविधा जैसे शब्दों को परिभाषित नहीं किया गया है. इस कारण यह धारा अत्यंत विस्तृत एयर अस्पष्ट हो जाती है जिसके कारण ताकतवर लोगों द्वारा इसका दुरुपयोग करने की पूर्ण सम्भावना रहती है.
अमिताभ और नूतन ने विशेष कर बल ठाकरे से जुड़ा शाहीन दाधा प्रकरण, ममता बैनर्जी से जुड़ा प्रोफ़ेसर अम्बिकेश महापात्र प्रकरण तथा पी चिदंबरम से जुड़ा रवि श्रीनिवासन प्रकरण का उल्लेख किया है.
इन तथ्यों के आधार पर इन दोनों ने इस धारा को संविधान की धारा 19(1)(ए) तथा व्यक्ति की स्वतंत्र से जुड़े अन्य मौलिक अधिकारों के विपरीत मानते हुए कोर्ट से इसे अवैधानिक घोषित करने का निवेदन किया है.
याचीगण के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय हैं. याचिका परसों 23 नवंबर 2012 को सुना जाना संभाव्य है.