उत्तर प्रदेश में अब तक राज्य बाल आयोग नहीं बनने के बारे में सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल में आज उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच के समक्ष बाल आयोग नियमावली का प्रारूप प्रस्तुत किया.
जस्टिस उमा नाथ सिंह और जस्टिस डॉ सतीश चंद्र की बेंच के समक्ष वादी नूतन ने इस पर आपत्ति प्रकट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की विशेष परिस्थितियों के दृष्टिगत इस आयोग के अध्यक्ष सहित कम से कम तीन न्यायाधीश अवश्य होने चाहिए. कोर्ट ने ठाकुर की दलील को स्वीकार करते हुए कोर्ट में उपस्थित समाज कल्याण विभाग की सचिव कामिनी रतन चौहान को आदेशित किया कि नियमावाली के प्रारूप में उक्त संशोधन करते हुए अगली तिथि 15 मई को नयी नियमावली प्रस्तुत की जाए.
हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई को कोर्ट में उपस्थित प्रमुख सचिव, समाज कल्याण सदाकान्त को आदेशित किया था कि राज्य सरकार द्वारा राज्य बाल आयोग के बारे में बनाए जा रहे नियम के प्रारूप कोर्ट के सामने प्रस्तुत किये जाएँ और एक माह के अंदर इसका गठन कर लिया जाए.
बहुत सारे राज्यों में इस तरह के आयोग गठित किये जा चुके हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में बाल आयोग अब तक गठित नहीं किया गया है. अतः ठाकुर ने इस पीआईएल में यूपी में भी तत्काल बाल आयोग गठित किये जाने की मांग की है.