आरटीआई कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा डीजीपी कार्यालय से यूपी आईपीएस तथा पीपीएस एसोसियेशन के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी कि क्या इन एसोशियेशन के बारे में डीजीपी कार्यालय को जानकारी है और क्या इन दोनों एसोशियेशन ने पंजीकरण के पूर्व पुलिस बल (रेस्ट्रिकशन ऑफ राइट्स) एक्ट 1966 की धारा 3(1) के अंतर्गत अनुमति प्राप्त की थी. डीजीपी कार्यालय ने पीपीएस एसोसियेशन के बारे में यह जवाब दिया कि उन्हें इसके अस्तित्व के बारे में जानकारी है लेकिन इससे सम्बंधित कोई अभिलेख उनके पास नहीं है.
इनके विपरीत तनूजा श्रीवास्तव, आईजी कार्मिक ने आईपीएस एसोसियेशन से सम्बंधित सूचना के लिए पत्र आईपीएस एसोसियेशन के सचिव अरुण कुमार, एडीजी के पास भेज दिया. अरुण कुमार ने यह कह कर सूचना देने से मना कर दिया कि आईपीएस एसोसियेशन आरटीआई एक्ट के अंदर नहीं आता है.
इस पर ठाकुर ने सूचना आयोग के सामने आपत्ति दर्ज की तो मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज ने इसे सही मानते हुए आदेश दिया कि जब डीजीपी कार्यालय पीपीएस एसोसियेशन की सूचना दे सकता है तो वह आईपीएस एसोसियेशन की भी सूचना दे. लेकिन आज (06 नवंबर 2012) को जब डीजीपी कार्यालय से पुनः आईपीएस एसोसियेशन के बारे में सूचना नहीं दी गयी तो पंकज ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए डीजीपी को पत्र लिख कर निर्देशित किया है अगली तिथि को तनूजा श्रीवास्तव स्वयं आयोग में उपस्थित होवें और वादी को सूचना प्रदान करें. सुनवाई की अगली तिथि 04 दिसंबर नियत की गयी है.