उत्तर प्रदेश के आईएएस तथा आईपीएस अधिकारियों की पोस्टिंग पर महत्वपूर्ण असर डाल सकने वाली आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की याचिका संख्या 78/2012 में कैट, लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार के एफिडेविट देने के अवसर को आज समाप्त कर दिया. जस्टिस आलोक सिंह और जस्टिस एस पी सिंह की बेंच ने गृह विभाग को कई बार आदेश दिये जाने के बाद भी प्रतिशपथ पत्र दायर नहीं किये जाने पर यह आदेश दिया और कहा कि अगली सुनवाई दिनांक 09 जनवरी 2013 को मामले में निर्णय किया जाएगा.
इस याचिका में ठाकुर ने एसपी, रूल्स और मैनुअल के पद पर अपनी नियुक्ति को चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि एसपी, रूल्स और मैनुअल के रूप में उनकी तैनाती आईपीएस अधिकारियों की तैनाती से सम्बंधित स्थापित नियमों के विरुद्ध है क्योंकि वे मात्र उन्ही पदों पर तैनात किये जा सकते हैं जो आईपीएस पे रूल्स 2007 के अनुसूची दो में अंकित कैडर पद हों अथवा विधिक रूप से परिभाषित एक्स्ट्रा-कैडर पद हों. एसपी, रूल्स और मैनुअल पद की हैसियत, कार्य और उत्तरदायित्वों का निर्धारण किये बिना उनकी इस पद पर तैनाती नियमविरुद्ध है.
ठाकुर ने याचिका में इस नियमविरुद्ध स्थानांतरण को निरस्त करने की मांग करते हुए जानबूझ कर इस पद पर तैनात करने के लिए जिम्मेदार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध अखिल भारतीय सेवा (आचरण) 1968 नियमावली का उल्लंघन करने के लिए कार्यवाही करने की भी मांग की है. अभी तक गृह विभाग इस बारे में अपना जवाब प्रस्तुत नहीं कर सका है जबकि पिछली सुनवाई में उस पर 1000 रुपये का कॉस्ट लगाया था.
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