सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग के हेड कॉन्स्टेबल, कॉन्स्टेबल, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के दुरुपयोग विषयक
महोदय,
कृपया निवेदन है कि मैं डॉ नूतन ठाकुर, नेशनल आरटीआई फोरम की कन्वेनर हूँ जो पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व के क्षेत्र में कार्यरत संस्था है. मैंने पिछले दिनों सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न पुलिस ईकाईयों से उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग के हेड कॉन्स्टेबल, कॉन्स्टेबल, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति के सम्बन्ध में कई सूचनाएँ मांगी जिनमे पीएसी मुख्यालय के पुलिस महानिदेशक सहित कई स्थानों से सूचनाएँ दिये जाने से मना किया गया. इसके बाद भी हमें कई स्थानों से ऐसी सूचनाएँ प्राप्त हुईं जो वास्तव में अत्यंत गंभीर हैं.
पुलिस लाइन्स, जनपद लखनऊ से प्राप्त सूचना के अनुसार चार अवकाशप्राप्त आईपीएस अधिकारियों के साथ कुल छह पुलिस कर्मी (एक हेड कॉन्स्टेबल तथा पांच कॉन्स्टेबल) अभी तक संबद्ध हैं. ये अधिकारी हैं श्री अरुण कुमार गुप्ता, श्री विक्रम सिंह, श्री के एन डी द्विवेदी तथा स्व० विजय शंकर माथुर. प्रतिसार निरीक्षक, लखनऊ की सूचना दिनांक 23/09/2012 के अनुसार इनमे से एक अधिकारी की अब मृत्यु हो गयी है, फिर भी उनके साथ पुलिस के कर्मचारी संबद्ध किये गए हैं. इस सूचना के अनुसार ये छहों कर्मचारी इन अधिकारियों के साथ “चोर पहरा” ड्यूटी पर लगे हैं. इसके अलावा एक कर्मी श्री इजहार अहमद आईपीएस श्री जावेद अहमद के साथ कई वर्षों से नियुक्त रहे जबकि वे सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर हैं.
पुलिस लाइन्स, जनपद लखनऊ से प्राप्त सूचना दिनांक 15/10/2012 के अनुसार लखनऊ पुलिस लाइन्स से एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी विशेष सचिव गृह तथा एक श्री बी के भल्ला, पूर्व डीजी के साथ नियुक्त हैं.
इसी प्रकार 35वीं वाहिनी पीएसी द्वारा प्रेषित आख्या दिनांक 07/11/2012 के अनुसार कुल ग्यारह पुलिस कर्मी पीएसी से बाहर के “विशिष्ठ व्यक्तियों” के साथ संबद्ध हैं. इन “विशिष्ठ व्यक्तियों” में छह अभी सेवा में तैनात आईपीएस अधिकारी हैं जबकि पांच अवकाशप्राप्त आईपीएस अधिकारी हैं. ये अवकाशप्राप्त आईपीएस अधिकारी हैं- श्री शैलेन्द्र सागर, श्री आर के तिवारी, श्री के एल गुप्ता, श्री बी नाथ तथा श्री यशपाल सिंह. इन पाँचों अधिकारियों के साथ ये नियुक्तियां दूरभाष वार्ता के क्रम में की गयी हैं. एक प्रकरण में बताया गया है कि यह निर्देश डीजीपी कार्यालय द्वारा सेनानायक को दिया गया. शेष मामलों में यह भी स्पष्ट नहीं है कि किसके निर्देश हैं और क्या निर्देश हैं.
35वीं वाहिनी पीएसी द्वारा ही प्रेषित आख्या दिनांक 07/11/2012 के अनुसार एक चतुर्थ श्रेणी पुलिस कर्मी श्री आर एम श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव गृह, एक गृह सचिव तथा एक अवकाशप्राप्त आईपीएस अधिकारी श्री शैलजा कान्त मिश्र के साथ नियुक्त किये हैं.
32वीं वाहिनी पीएसी द्वारा प्रेषित आख्या दिनांक 09/10/2012 के अनुसार एक चतुर्थ श्रेणी पुलिस कर्मी सचिवालय अनुभाग दो में, एक श्री बाबू लाल, अवकाशप्राप्त डीजीपी के साथ तथा एक श्री जावेद अहमद, सीबीआई अधिकारी के साथ संबद्ध हैं.
मेरी जानकारी के अनुसार उक्त सभी नियुक्तियां सर्वथा नियमविरुद्ध हैं. किसी भी पुलिसकर्मी (आरक्षी/मुख्य आरक्षी) को किसी शासनादेश अथवा सक्षम अधिकारी के विधिसम्मत आदेश के बिना कहीं भी नियुक्त नहीं किया जा सकता जबकि इन सूचनाओं के अनुसार कई मामलों में मात्र टेलीफोनिक सूचना के आधार पर अवकाशप्राप्त अधिकारियों के साथ बहुत-बहुत लंबे समय तक नियुक्ति रखी जा रही है. इसके अतिरिक्त एक मामले में एक अधिकारी के सीबीआई में नियुक्त होने के बाद भी उन्हें राज्य सरकार की तरह से बिना किसी सम्यक आदेश के कई सालों से उत्तर प्रदेश पुलिस के आरक्षी सम्बध्ह किये गए थे और उक्त सीबीआई अधिकारी उसे नियमों के विपरीत अपने साथ रखे भी हुए थे.
इसी प्रकार से गृह विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव/विशेष सचिव स्तर के अधिकारी तथा कई अवकाशप्राप्त आईपीएस अधिकारियों के साथ नियमविरुद्ध तरीकों से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी नियुक्त किये गए हैं.
मैंने आपको जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं वे मात्र लखनऊ जनपद पुलिस तथा दो पीएसी ईकाईयों के हैं. यदि आपके स्तर से यह कार्यवाही पूरे प्रदेश में की जायेगी तो ऐसे ना जाने कितने मामले सामने आयेंगे जिनमे बिना किसी समक्ष व्यक्ति के विधिसम्मत आदेश के पुलिस के अधीनस्थ अधिकारी अवकाशप्राप्त अधिकारियों अथवा अनुमन्यता से परे अधिकारियों के साथ नियुक्त/संबद्ध कर दिये गए हैं और ऐसा चल रहा है.
निष्कर्षतः मैं आपसे यह निवेदन करती हूँ कि कृपया मेरे द्वारा वर्णित इन सभी प्रकरणों में अपने स्तर से यह दिखवाने की कृपा करें कि इस प्रलर की विधिविरुद्ध नियुक्तियां किस प्रकार और किनके आदेशों से हुईं. मैं यह भी निवेदन करुँगी कि कृपया इनके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हित करते हुए इन संबद्ध पुलिस अधिकारियों की तनख्वाह तथा इन पर हुए अन्य खर्चों की समस्त धनराशी की कटौती इन्ही अधिकारियों से करने तथा नियमानुसार दंडित किया जाना सुनिश्चित करें. इसके अतिरिक्त कृपया यह भी निवेदन है कि यह कार्य अन्य सभी जनपदों तथा पीएसी ईकाईयों में भी करवा लिया जाए ताकि वहाँ भी इस प्रकार की विधिविरुद्ध अथवा बिना सक्षम अधिकारी के नियम्सम्मत आदेश के की गयी सभी नियुक्तियां/संबद्धता समाप्त की जाए और इस प्रकार की नियुक्ति करने वाले अधिकारियों के वेतन से इन पुलिस अधिकारियों की तनख्वाह तथा इन पर हुए अन्य खर्चों की समस्त धनराशी की कटौती हो.
पत्र संख्या- NRF/Police/01 भवदीय,
दिनांक- 26/11/2012
(डॉ नूतन ठाकुर) 5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34525