आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में पूर्व प्रमुख सचिव गृह कुंवर फ़तेह बहादुर और सचिव, मुख्यमंत्री विजय सिंह के खिलाफ मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश द्वारा किये गए जांच को चुनौती दी गयी थी. इसमें आज जस्टिस उमा नाथ सिंह और जस्टिस वी के दीक्षित की बेंच ने मुख्य सचिव कार्यालय से याचिका के सम्बन्ध में जवाब दायर करने को कहा है. न्यायालय में उनका पक्ष उनके अधिवक्ता अशोक पाण्डेय ने रखा.
ठाकुर ने फ़तेह बहादुर तथा विजय सिंह पर स्वयं को उत्पीडित करने के आरोप लगाते हुए एक रिट याचिका नवंबर 2011 में दायर की थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्य सचिव को ठाकुर के आरोपों के सम्बन्ध में चार माह में जांच करने को कहा था. मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने 06 जुलाई 2012 को अपनी जांच रिपोर्ट दी जिसमे उन्होंने फ़तेह बहादुर, विजय सिंह अथवा किसी अन्य व्यक्ति को दोषी नहीं माना. ठाकुर ने 06 अगस्त 2012 को मुख्य सचिव को पत्र लिख कर पैंतीस ऐसे तथ्य बताए जो उनकी जांच में छूटे हुए थे. इनमे छुट्टी जैसे मामले में निर्णय लेने में एक साल से अधिक समय लगना, विधिविरुद्ध तरीके से दुबारा विभागीय जांच खोलना, एक ही मामले में तीन बार अपने आदेश बदलना जैसे कई गंभीर आरोप थे. इसके अलावा प्रत्येक मामले में शासन स्तर पर विधिक अधिकार से वंचित किये जाने पर उन्हें हाई कोर्ट तथा कैट से अपना हक मिला. ठाकुर ने यह भी कहा कि विजय सिंह द्वारा बिना मुख्यमंत्री से अनुमति लिए अपने स्तर से आदेश देने के सम्बन्ध में बिना पूर्व मुख्यमंत्री से जानकारी लिए ही अंतिम निष्कर्ष निकाल लिया गया.
ठाकुर ने इसके बाद भी कई बार मुख्य सचिव को पत्र भेजे और कोई कार्यवाही नहीं होने पर उन्होंने पुनः हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इन मामलों में सही जांच कराये जाने की मांग की.