पुलिस थानों में वरिष्ठ उप-निरीक्षकों के रहते उनसे कनिष्ठ उप-निरीक्षक को थानाध्यक्ष बनाए जाने की व्यवस्था को चुनौती देने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल संख्या 360/2013 में इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच ने प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी, यूपी को 29 जनवरी तक थानाध्यक्षों की तैनाती के सम्बन्ध में व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने के आदेश दिये हैं. जस्टिस उमा नाथ सिंह और जस्टिस वी के दीक्षित की बेंच ने कहा कि थानाध्यक्ष का पद सीआरपीसी के अनुसार एक महत्वपूर्ण पद है और उस पर तैनाती हेतु निश्चित प्रक्रिया होनी चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा कि इसके अभाव में पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार बढ़ता है.
ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा था कि कनिष्ठ उप-निरीक्षक के एसओ पद पर तैनात किया जाना ना सिर्फ प्रशासनिक विधि के विरुद्ध है बल्कि इससे विभाग में कामचोरी एवं आतंरिक आक्रोश फैलता है तथा भ्रष्टाचार भी पनपता है. याची के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय हैं जबकि बुलबुल गोदियाल ने राज्य सरकार का पक्ष रखा.