अफसरों के मनमानेपन के किस्से हमेशा सुने जाते रहे हैं जिनमे एक ताजा उदाहरण अभियोजन निदेशालय का है.
गोमतीनगर, लखनऊ स्थित अभियोजन मुख्यालय में हर महीने बैठक होती है जिसमे प्रत्येक मंडल से अपर निदेशक अभियोजन तथा लखनऊ स्थित सीबी-सीआईडी, सतर्कता, जीआरपी, ईओडब्ल्यू, सहकारिता सहित दर्जनों विभागों में तैनात अभियोजन अधिकारी शामिल होते हैं.
लेकिन अभियोजन विभाग के एडीजी आर एन सिंह ने इस बार लखनऊ की जगह इलाहाबाद में मीटिंग तय कर दी क्योंकि विभागीय चर्चा के अनुसार वे इलाहाबाद माघ मेला में शामिल होना चाहते थे.
तत्कालीन आईजी अमिताभ ठाकुर ने इस मीटिंग को गलत बताते हुए एडीजी से लखनऊ में तैनात सारे अफसरों और उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों के अफसरों को केवल मीटिंग के लिए इलाहाबाद जाने को सीधे-सीधे सरकारी धन का दुरुपयोग बताते हुए आपत्ति की थी जिसमे सारे अफसर परेशान अलग से होंगे. लेकिन आर एन सिंह ने श्री ठाकुर की इस जायज बात को दरकिनार कर इलाहाबाद में मीटिंग की.
मैंने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच करा कर यात्रा व्यय आदि में सरकारी धन के अपव्यय के लिए जिम्मेदार अफसर की जेब से पैसे की वसूली की मांग की है.