जेएनयू एवं गद्धारो तुम्हारे लिए , लिखदिया अब जो हो वो भुगतना
टूट रही बाबर की औलादे है टूट रहा बाबर का दम्भ,
अब चढ रहा हर भारतीय पर राष्ट्रवादिता का केशरिया रंग
किस मुंह से तुम बिस्मिल भगत के तराने गाते फिरते हो,
वो कुर्बां हुये मातृभूमि खातिर तुम टूकडे कराते फिरते हो l
तुम जैसे नमक हरामियो के मुंह से उनका नाम नहीं शोभा देता,
वो भी जन्नत मे बैठके देख रहे यह उनकी मर्जी से ही है होता l
अभी समय है चेत जाओ कोई आका तुम्हे बचाने न आयेगा,
अब हर देशद्रोही गद्धार गली गली जनता द्वारा पीटा जायेगा l
दो कौडी औकात वालो से आजादी की बाते अच्छी नहीं लगती,
जो जवानिया नशे मे ड़ूबी हो वह तख्त ए फांसी पर नहीं चढ़तीl
जाओ बेटा ढंग से पढ़ो लिखो जग मे अच्छे कुछ करम करो,
प्यादो सी ज़िन्दगी से बेहतर किसी कुआ खंदक मे ड़ूब मरो l
✍अभिनव सिंह सौरभ
चरण सेवक भीमेश्वर महादेव पुठरी वालो के ll