जेसलमेर,17 दिसम्बर : संत अपने भले तक ही सीमित ना होकर सभी के भले की कामना करते है और इंसान कोइंसान के असली स्वरूप की जानकारी करवा असली उद्देश्य पूरा करवाने में अपना योगदान देते है और संत ब्रह्मज्ञान की रोशनी कोजन जन तक अपने कर्म रूप से पहुंचाते हैं। ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने जेसलमेर के मंगल सिंह पार्क मेंआयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए।
उन्होंने कहा कि यहां पर आकर आप संतो की सादगी व प्यार देखकर बहुत ही खुशी हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यहां परसंतो महात्माओं द्वारा नाटक रूप, कविता रूप, मराठी, हिंदी व पंजाबी में जिस भी भाषा का सहारा लिया उसका एक ही संदेश था किइंसान जो अपना असली स्वरूप समझ रहा है वो उसका असली स्वरूप नहीं है। असल में उसका रूप आत्मा है, जो कि परमात्मा कीअंश है। ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मा का परमात्मा से मेल होता है उसकी जानकारी निरंकारी मिशन में परमात्मा के दर्शन करवाकर वाकरवाई जाती है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि एक शेर भेड़ों के बीच पल रहा था, एक दिन जब उसने अपना रूप पानी मेंदेखा तो तभी जाकर उसे समझ आई कि वह असल में क्या है। इसी तरह इंसान संसार के किसी भी स्थान पर रह रहा है सभी में एकही आत्मा है। समय बीतता चला जा रहा है, इसलिए समय रहते हुए इस निरंकार प्रभु की जानकारी हासिल करके जीवन का असलीउद्देश्य पूरा करे।
इससे पहले जेसलमेर के मुखी महात्मा धर्म सिंह पवार ने निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का स्वागत व धन्यवादकिया। इससे पहले कविताओं, गीतों व विचारों द्वारा इस निरंकार प्रभु की चर्चा की गई।