मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर प्रदेश में हुई अति वर्षा और ओला वृष्टि से तैयार फसलों को हुए भारी नुकसान के साथ-साथ सैकड़ों मवेशियों के मरने, अधोसंरचना, मकान, सड़क और बिजली के ट्रांसफार्मर आदि की भी भारी क्षति से अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को बताया कि वे इस संबंध में पहले भी प्रधानमंत्री, केन्द्रीय वित्त मंत्री और कृषि मंत्री से मिलकर नुकसान के बारे में बता चुके हैं। पर खेद है कि अभी तक केन्द्र सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता और आश्वासन नहीं मिला है।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से अपनी मुलाकात में केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे संवेदनशील और प्राकृतिक आपदा में सहायता देने में असहयोगात्मक रवैये पर चिन्ता व्यक्त की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रपति से इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया और इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार द्वारा 5000 करोड़ का राहत पैकेज शीघ्र जारी करने की मांग की। उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार द्वारा शीघ्र-अतिशीघ्र एक अध्ययन दल अति वर्षा और ओला वृष्टि के कारण हुए नुकसान का आकलन करने के लिए प्रदेश में भेजा जाये।
श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश के लगभग सभी 51 जिले अति वर्षा और ओला वृष्टि से प्रभावित हुए हैं। लगभग 10 हजार गाँव में भारी नुकसान हुआ है। राज्य सरकार अपने संसाधनों से लगभग 2000 करोड़ रुपये की अंतरिम सहायता राशि प्रभावितों को दे रही है। भारी वर्षा के कारण सबसे ज्यादा असर चने की खेती पर हुआ है। इसके साथ ही गेहूँ, सब्जियाँ और खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है। पिछले दो साल से प्रदेश गेहूँ का रिकार्ड उत्पादन कर रहा था जिसके कारण राज्य को पिछले दो साल से लगातार कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा गया। इस वर्ष भी आशा थी कि हम रिकार्ड उत्पादन कर पंजाब और हरियाणा से आगे होंगे।
श्री चौहान ने बताया कि इससे पहले माह अगस्त, सितम्बर एवं अक्टूबर 2013 में हुई भारी बारिश से भी काफी नुकसान हुआ था। सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ था। नुकसान का प्रारम्भिक आंकलन कर एक ज्ञापन राष्ट्रीय आपदा राहत कोष को माह अक्टूबर 2013 में देकर 575 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता की मांग की गयी थी। केन्द्र सरकार की उच्च-स्तरीय समिति ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर 388 करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन किया था। किन्तु यह राशि भी अभी तक पूर्ण रूप से जारी नहीं की गयी है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसके साथ केन्द्र सरकार से चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 3100 रुपये प्रति क्विंटल करने की भी मांग की। उन्होंने बताया कि चने की फसल तैयार है और शीघ्र बाजार में आने वाली है। बाजार में चने का भाव 2200-2300 रुपये प्रति क्विंटल है। उन्होंने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार नेफेड द्वारा यह सुनिश्चित करे कि चने की खरीदी 3100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से ही हो ताकि किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम मिल सके।