गैर-अनुदान मान्यता प्राप्त प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश पाने वाले बच्चों का विवरण समग्र आई.डी. के माध्यम से एजूकेशन पोर्टल पर दर्ज होगा। आरटीई का पालन करते हुए पोर्टल पर बच्चों का विवरण रजिस्टर्ड होने से जिला-स्तर पर उनके सत्यापन, निरीक्षण तथा अकादमिक सपोर्ट आदि में सुविधा रहेगी। साथ ही शालाओं में रिक्त सीटों की जानकारी भी मिल सकेगी।
नई प्रक्रिया के अनुसार समग्र आई.डी. के माध्यम से बच्चों की जानकारी आरटीई माड्यूल में स्कूल द्वारा दर्ज करनी होगी। समग्र आई.डी. के माध्यम से फीस प्रतिपूर्ति करवाने का उद्देश्य है कि वास्तविक बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति हो। समग्र आई.डी. होने से बच्चों का दोहरा नामांकन/डुप्लीकेसी की संभावना नहीं रहेगी। बच्चों की ट्रेकिंग भी आसानी से हो सकेगी। अध्ययनरत बच्चों की फोटो भी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य रहेगा।
शासन ने निर्देश दिये हैं कि समग्र आई.डी. के अभाव में किसी भी बच्चे को प्रवेश से वंचित नहीं किया जाये और न ही उसे शाला से अलग किया जाये। यदि किसी बच्चे की समग्र आई.डी. नहीं है तो जिला परियोजना और विकासखण्ड स्रोत समन्वयक की जिम्मेदारी होगी कि स्थानीय निकाय द्वारा उसे प्राथमिकता पर जनरेट करवाये।
शासन ने सत्र 2014-15 एवं पहले के वर्षों में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल लगने के कुल दिवस और वार्षिक उपस्थिति भी दर्ज करने को कहा है। स्कूल को सही खाता क्रमांक भी दर्ज करवाना होगा। शासन ने सत्र 2014-15 की फीस प्रतिपूर्ति के लिये निर्धारित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं। इसमें कलेक्टर एवं मिशन संचालक के अनुमोदन के बाद एक अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया जायेगा। नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि अशासकीय विद्यालय द्वारा प्रवेशित बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति के लिये चाही गयी फीस उस कक्षा के अन्य बच्चों से ली जा रही फीस के अनुसार रहे। नोडल अधिकारी शाला का स्वयं अवलोकन करेगा तथा संस्था के क्लेम एवं अपलोड किये गये बच्चों के नाम और फीस के मिलान का दायित्व भी निभायेगा।
अशासकीय स्कूल पोर्टल पर फीस प्रतिपूर्ति के लिये ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। उन्हें वास्तविक शुल्क ही दर्ज करना होगा। गलत शुल्क दर्ज करने पर उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी।