विदिशा : नोबल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के विदिशा आगमन पर पूरे प्रदेश भर से लाखो लोगो ने ऐतिहासिक स्वागत किया. रेलवे स्टेशन से लेकर उनके निवास तक कदम-कदम पर पुष्प वर्षा, फूल-माला एवं वंदे मातरम के नारों से उनका अभिनंदन हुआ।
पूरे बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया गाया और सभी लोगो अपने कम काज को छोड़ कर सुबह 9 बजे से रेलवे स्टेशन से लेकर उनके निवास स्थान तक इंतजार कर रहे थे I कैलाश जी ने विदिशा आते ही धरती को चूमा और अपने परिवार के सदस्यों को गले लगा कर एवं विदिशा वासियों का हाथ हिला कर अभिवादन सवीकार किया.
कैलाश सत्यार्थी जी को फूलों से बने कालीन पर रेलवे स्टेशन से उनके घर तक भव्य जलूस के रूप में ले जाया गाया. उनके बड़े भाई रिटायर्ड प्राध्यापक श्री नरेंद्र शर्मा ने अपने अश्रुपूर्ण दिल से गले लगाकर अपना प्यार और आशीर्वाद दिया।उन्होंने बताया की कैलाश बचपन से ही गरीब बच्चों के लिए सोचता था।कई प्रश्न करता था हमारे पिताजी से माताजी से हम लोगों से। आज हमारे माताजी पिताजी जीवित होते तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नही होता।
उनके भतीजे असिस्टेंट प्रोफ़ेसर सर्वेश शर्मा तो अपने आंसुओं को रोक ही नहीं पाये जब उनके चाचाजी प्रोटोकॉल तोड़कर जिला थाना में गाड़ी से उतरकर सभी पोलिसवालों के बीच जा पहुचे। जहाँ उनके पिताजी एक पुलिस के पद से ही रिटायर्ड हुए थे।उन्होंने कहा की ये मेरे पिताजी का सम्मान है सभी पोलिसवालों का सम्मान है। उनकी भतीजी यशा शर्मा और हिमांशा शर्मा भी भावविभोर होकर अपने चाचाजी को प्यार और सम्मान दे रहीं थी। और उनके नोबल मैडल को हांथो में लेकर गर्वान्वित महसूस कर रही थी। सर्वेश शर्मा और उनकी पत्नी नेहा शर्मा एवं उनकी बेटी शान्वी शर्मा ने फूलों का गुलदस्ता भेंट किया तो अथाह भीड़ में कैलाशजी ने अपनी पोती को उठाकर चूम लिया। परिवार के सभी सदस्यों प्रोफ़ेसर दिनेश शर्मा,श्री उमेश शर्मा,श्री प्रवेश शर्मा सभी ने अपने चाचाजी के गृहनगर में आगमन पर उद्गार व्यक्त किये।
शहर के बहुत स्कूलों में उनका भव्य स्वागत किया गया।स्कूल ऑफ़ एक्सीलेन्स जंहा सत्यार्थी जी पहले पढ़े हैं उसको MP के CM ने कैलाश सत्यार्थी के नाम पर रखने की घोषणा की।और आजीवन उनको राज्य अतिथि होने का सम्मान भी दिया।स्कूल ऑफ़ एक्सीलेन्स में भी सत्यार्थी जी गए और वहां भी उनका भव्य अभिनन्दन हुआ।वहां उनकी भाभीजी भी कार्यरत हैं।सत्यार्थी जी ने वहां अपनी भाभी को एक माँ के समान बताया और मंच पर अपनी भाभी माँ को बुलाकर उनके चरण वंदन किये।सारा माहोल भाव बिभोर हो गया।इसी तरह सभी ने कैलाशजी को इतना प्यार दुलार दिया जेसे एक माँ अपने बेटे को इतना दुलारती है जब वह कोई छोटा सा भी पुरुस्कार लेकर आता है। वैसा ही सम्मान उन्हें अपने राज्य और घर में मिला।