उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने किसानों को सलाह दी है कि वर्तमान में मौसम की स्थिति को देखते हुए किसान फसलों में डोरा, कोल्पा, हस्त चलित हो, आदि से अंतः कर्षण क्रियाएं करें, जिससे मृदा की हानि नहीं हो।किसानों से कहा गया है कि सूखे से बचने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में यदि जैविक मल्च (सोयाबीन, गेहूँ भूसा, अन्य) उपलब्ध हो, तो फसलों की कतारों के बीच मल्च को बिछा देवें, जिससे मृदा नमी की हानि नहीं होगी। पिछले 5-6 दिनों में, जहां सोयाबीन की बोवनी हुई है, वहां सूखे की स्थिति में सिंचाई (फव्वारा, टपक, अन्य) की जाए, जिससे सोयाबीन का अंकुरण पूर्णरूपेण निश्चित हो सके। सोयाबीन की फसल, जहां 15 दिन की हो गई हैं, वहां खरपतवार नियंत्रण के लिए अंतः कर्षण क्रियाएं अथवा बोवनी के पश्चात खड़ी फसल में उपयोगी खरपतवार नाशक (इमेझाथापायर, क्विझालोफॉप, इथाइल, क्विझालोफॉप-पी-टेफूरील एक लीटर प्रति हेक्टयर) की दर से छिड़काव करें।