आतंकवाद और अलगावाद पर केंद्र सरकार की जीरो टोलेरेंस नीति जारी है. सरकार ने शुक्रवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए कश्मीरी अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को प्रतिबंधित कर दिया है. कैबिनेट की सुरक्षा समिति की बैठक में ये फैसला किया गया.
सरकार ने आतंकवाद निरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की है. इससे पहले जमात-ए-इस्लामी पर भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है. जेकेएलएफ भले ही आज यह दिखावा करता है कि वह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल नहीं है, लेकिन 80 के दशक के अंत में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत और कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर निकालने में जेकेएलएफ की अहम भूमिका रही है. शुक्रवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए गृह सचिव राजीव गाबा ने कहा की इस संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है.
सरकार ने कहा कि संगठन की गतिविधियां भारत की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हैं और ये देश की एकता और अखंडता के विरुद्ध हैं.
पूर्व आतंकवादी और अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक के संगठन ने 1988 से कश्मीर घाटी में अलगाववादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार और अलगाववादी गतिविधियों में अग्रणी भूमिका रही है.
इस महीने जेकेएलएफ प्रतिबंधित होने वाला दूसरा अलगाववादी संगठन है. इससे पहले केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को प्रतिबंधित किया था.
यासीन मलिक को पुलवामा हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ कारवाई के दौरान 22 फरवरी को देर रात गिरफ्तार किया गया था. मलिक पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया और फिलहाल वो जम्मू की कोट बलवाल जेल में है. सरकार ने पिछले दिनों लंबे समय से अलगाववादियों को दी जा रही सुरक्षा और तमाम अन्य सुविधाएं भी हटा ली थीं.