अपनी मातृभूमि कि मैं, गाथा आज सुनाता हूं ,
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
कुर्बानी से डरे नहीं, वह वीर तुम्हें मैं बताता हूं ,
रणबांकुरे वीरों को ,सेना में तुम्हें दिखाता हूं ।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
दाऊ- कान्हा से अपना, रिश्ता मैं आज जताता हूं ,
माता रेवती जन्मी यहां ,तुम सबको यह सुनाता हूं।
गदर ,वीर फिल्मों के भाप ,ईजंन से तुम्हें मिलाता हूं ,
खिलौना गाड़ी और जंगल बबलर की, सैर तुम्हे करवाता हूं ।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
हिंदू राजा हेमचंद्र का, किला तुम्हे दिखलाता हूं,
शहीद स्मारक कोसली में, वीरों के नाम गिनाता हूं।
स्वतंत्रता सेनानी डॉ सत्यनारायण वशिष्ठ की कुर्बानी याद दिलाता हूं,
अहीरवाल की भाषा , कित जा सै आज सुनाता हूं ।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
सन् 1857 की क्रांति के परवानों, का इतिहास बताता हूं।
राजा राव तुलाराम और, गोपाल देव के बारे तुम्हें बताता हूं ।।
आजादी के लिए लड़े जो ,शहीद तुम्हें गिनवाता हूं,
रेजागलॉ स्मारक भूमि के, दर्शन तुम्हें करवाता हूं ।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
कोसली के बाबा मुक्तेश्वर पुरी का ,मठ मैं तुम्हें दिखलाता हूं ,
झाल में बाबा भैया का, दर्शन तुम्हें मैं कराता हूं ।
दडोली आश्रम के प्रसिद्ध, संत के बारे बतलाता हूं ,
घंटेश्वर मंदिर के दर पर, तुमको मैं ले जाता हूं ।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
डॉ बी के राव का तुमको, पद्म भूषण भी बताता हूं ,
पर्वतारोही संतोष यादव के ,हौसले की गाथा सुनाता हूं ।
कोमोडोर बबरू भान यादव का ,महावीर चक्र बताता हूं,
बहन पवित्रा यादव की, मुक्केबाजी तुम्हें दिखाता हूं ।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
बाबू बालमुकुंद गुप्त का, साहित्य मैं पढ़ाता हूं ,
अंतरराष्ट्रीय कवि अल्हड़ बीकानेरी की वाणी में, कविता तुम्हें सुनाता हूं ।
प्रसिद्ध कवि हलचल हरियाणवी की सभा के ठहाके तुमको सुनाता हूं ,
सतबीर नाहडिया की हरियाणवी, रागनी सुनाता हूं।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
सैनिक बोर्ड और सैनिक स्कूल भी ,तुमको मैं बतलाता हूं ,
कुंड में अरावली पहाड़ियों की, तुमको मैं सैर कराता हूं ।
बीएमजी और सिटी मॉल की, झलक तुम्हें दिखलाता हूं ,
कुनबा हरियाणवी फिल्म के निर्देशक विजय भाटोटिया से मिलवाता हूं।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
औद्योगिक नगरी बावल की, तुमको मैं सैर कराता हूं ,
सोलहराही, बड़ा तालाब व हनुमान मंदिर ,के दर्शन कराता हुँ।
शिक्षा ,खुशहाली में आगे, क्षेत्र ये सबको बताता हूं ,
रह गई बहुत सी महान हस्तियां, अरविंद भारद्वाज मैं माफी चाहता हूं।।
पीतल नगरी रेवाड़ी को, अपना शीश नवाता हुँ ।
रचनाकार : अरविंद भारद्वाज