करनाल : गांव गोंदर में खेल स्टेडियम 6 एकड़ में बनाया गया था, जिसका अभी तक कोई सुधार नही हो पाया है। जिसका करीब तीन वर्ष पूर्व विधायक भगवानदास कबीर पंथी ने इसका शिलान्यास किया था। अब ग्राम पंचायत खेल स्टेडियम की जगह 6 एकड़ है, जिसपर ग्राम सरपंच दो एकड़ में पीएचसी बनवाने की बात कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्य सरपंच की ओर से जबरन करवाया जा रहा है। युवा प्रतिभाओं के लिए 6 एकड़ जमीन में खेलकूद के लिए ब्लॉक स्तर पर स्टेडियम बनाया गया, जिसके माध्यम से गांव के हर वर्ग की प्रतिभा उभरकर सामने आऐगी। हिंदू जागरण मंच के जिला महामंत्री रविप्रताप सिंह ने कहा कि गांव के युवा स्टेडियम की जमीन को पीएचसी के लिए न देने पर विरोध कर रहे हैं। स्टेडियम आज के युवा की सख्त जरूरत है,आने वाले भविष्य में सब अच्छे स्टेडियम बनने पर अच्छे स्वास्थ्य का लाभ ले सकेंगे। पहला सुख निरोगी काया। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है,इस मामले को लेकर आज रविवार दिनांक 21.01.2018 को मनोहर पट्टी चौपाल में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित सभी लोगों का यह कहना था कि इस जमीन पर बने स्टेडियम से लाभ लेकर अन्य गांव के युवा भी सरकारी नौकरियां पा रहे हैं।युवाओं को आज के आधुनिक जरूरत के हिसाब से स्टेडियम में सुधार किया जाए, इस मौके पर हिंदू जागरण मंच के जिला अध्यक्ष बजिंद्र राणा, पूर्व सरपंच बलविंद्र राणा, महिपाल राणा आरएसएस खण्ड संघचालक, किसान मोर्चा से राजकुमार राणा, ग्राम पंचायत मेम्बर राजू, नरेंद्र, रामभूल, विशाल राणा, मनजीत ,कर्मसिंह, दिनेश राणा, नंबरदार नेंत्रपाल ,मास्टर महेंद्र राणा सहित अन्य युवा ने इसका विरोध किया।
इस संबध में ग्राम सरपंच देवेंद्र राणा उर्फ बिट्टू का कहना है कि यह जमीन ग्राम सभा की मिटिंग में पास की गई है। जो एक जबरन सोची समझी राजनीति हैं।
सरपंच के कार्यों को सराहना करते हुए हम युवा सरपंच से आग्रह है कि 6 एकड़ भूमि स्टेडियम में सुधार किया जाए न छेड़छाड़ करके युवाओं के भविष्य को ठेस पहुँचाये।।
भाइयो मेरा न कोई राजनीतिक पार्टी के कोई सम्बन्ध है न मुझे राजनीति करने का कोई शौक।
आप सभी ग्रामवासियों के लिए एक अच्छा खेल का मैदान हो,जहाँ आधुनिक तरीके से खेल के माद्यम से युवा अपने भविष्य को व अपनी प्रतिभा से देश का गाँव का नाम रोशन करें।
हमारे गाँव की राजनीति इतनी गन्दी होगी मैं सोच भी नही सकता ।
आपके ग्राम सरपंच मनमानी करते हुए स्टेडियम की जगह से छेड़छाड़ कर उसको 4 एकड़ कर देना चाहता हैं। जो आपके गाँव की बढ़ती आबादी ओर जिला स्तर के लिए पर्याप्त नही हैं।
इसलिए आप सबसे आग्रह है सरपंच जी से मिला जाए बात की जाए और ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुँचे।
एक प्राचीन कहावत है “पहला सुख निरोगी काया”
इसका मतलब है कि सुखी जीवन का भोग करने के लिए स्वस्थ शरीर का होना जरुरी है | लेकिन शरीर तभी स्वस्थ हो सकता है जब इसके सभी अंग दुरुस्त यानि फिट हो और शारीरिक अंगों को फिट रखने हेतु खेलों से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं है |
जीवन में खेल ही है जो हरेक प्रकार के शारीरिक, सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य गुणों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान करता है | इसीलिए आधुनिक युग में खेलों के प्रति लोगों की रूचि बढ़ने लगी है |
पहले लोग खेल – कूद को शौक, शुगल, मनोरंजन के रूप में या हॉबी अथवा व्यवसाय के रूप में खेलते थे लेकिन अब जीवन में खेलों के लाभ और महत्व को देखते हुए इसे अपने जीवनशैली में स्वस्थ्य रहने के लिए शामिल करने लगे है |
खेल अब केवल विद्द्यार्थी जीवन के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं रहा बल्कि बच्चे, नौजवानों और बृद्ध सबके जीवन में स्वस्थ सुडौल और पुष्ट शरीर के लिए खेल किसी उपहार से कम नहीं है |
खेलों का स्वास्थ्य के साथ गहरा सम्बन्ध होने के कारण अब हर माता – पिता बच्चों को स्पोर्ट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने लगे है | स्कूलों और कॉलेजों में भी खेल को एक एक्टिविटी के रूप में प्राथमिकता दी गई है | जहाँ शिक्षक और छात्र दोनों ही खेल के मैदान में अपने शारीरिक क्षमताओं को विकसित करते दिखाई पड़ते है |
स्वास्थ्य के मामलें में खेलों की महिमा अपरम्पार है | खेल शरीर को स्वस्थ और स्फूर्तिमय बनाये रखते है |
खेल – कूद के दौरान शरीर के लगभग सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है | मांसपेशिया सुदृढ़ बनती है जिससे काया निरोगी रहती है | स्वास्थ्य रक्षा और सशक्त शरीर के लिए खेल अनिवार्य है | शरीर की श्रम साध्यता इन्हीं पर निर्भर करती है
खेल का मैदान स्वास्थ्य पर एक स्थायी छाप छोड़ता है | यह शरीर का एक ऐसा ढ़ाचा तैयार करता है जो चुस्त फुर्तीला और बलिष्ठ होता है | इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बहुसंख्यक शिक्षा संस्थाओं में खेल – कूद एक अनिवार्य विषय है |
कहने का आशय यह है कि हर बालक, किशोर और युवा जो कल का नागरिक है, खेलों के माध्यम से स्वस्थ शरीर का निर्माण करें ताकि उसका जीवन स्वयं के लिए और साथ ही समाज व देश के लिए उपयोगी बन सके।