चंडीगढ़, 27 मार्च- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा नलवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रो0 सम्पत सिंह ने फतेहाबाद जिले के गोरखपुर में प्रस्तावित परमाणु बिजली संयंत्र के सम्बन्ध में कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित इनेलो पार्टी के ब्यान पर आश्चर्य व्यक्त किया है और कहा कि इनेलो नेताओं द्वारा लोकतंात्रिक प्रणाली में जिस प्रकार की उग्र एवं भडक़ाऊ भाषा का इस्तेमाल किया गया है वह एक राजनेता के लिए शोभा नहीं देता।
प्रो0 सम्पत ङ्क्षसंह आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न केवल इनेलो बल्कि हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता कुलदीप बिश्नोई भी समय-समय पर इस संयंत्र के बारे ब्यान देते रहते हैं परन्तु कल इनेलो पार्टी के ब्यान से उन्हें तकलीफ हुई है। इनेलो पार्टी के ब्यान में कहा गया है कि यह जमीन अधिग्रहण की गई तो सबसे पहली गोली इनेलो पार्टी के नेता खाएंगे। यह एक हिंसात्मक भाषा है। राजनीतिक आदमी को ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि तथ्यों के साथ किसी मुद्दे की आलोचना करनी चाहिए।
एक प्रश्न के उत्तर में प्रो0 सम्पत सिंह ने कहा कि इनेलो परिवार व हजका परिवार दोनों की ओर से बार-बार ब्यान आते रहते हैं कि जब तक चौधरी देवीलाल का खून तथा चौधरी भजनलाल का खून उनकी रगों में दौड़ता रहेगा तब तक वे उनकी नीतियों पर चलते रहेंगे और उनके अधूरे कामों को पूरा करेंगे, परन्तु लगता है अब दोनों ही पार्टियों के नेता अपने पूर्वजों को भूल रहे हैं या उन्हें फतेहाबाद परमाणु बिजली संयंत्र के बारे जानकारी नहीेंं है।
प्रो0 सम्पत सिंह ने स्मरण कराया कि फतेहाबाद जिले में परमाणु संयंत्र लगाने के लिए सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री भजनलाल ने 20 जुलाई, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने मुख्यत: चार बिन्दुओं पर जोर दिया था और कहा था कि यहा पर परमाणु संयंत्र लगाना सबसे उचित है। यह स्थल राजस्थान तथा पंजाब के निकट होने के कारण दोनों राज्यों की बिजली आवश्यकता पूरी कर सकता है, दूसरा इस संयंत्र से सम्प्रेषित की जाने वाली बिजली के लिए अलग से सम्प्रेषण प्रणाली पर अतिरिक्त खर्चा भी नहीं करना पड़ेगा क्योंकि आवश्यक सम्प्रेषण प्रणाली पहले ही उपलब्ध है, तीसरा यह स्थल अंतर्राष्टï्रीय सीमा से भी काफी दूरी पर है इसलिए यह सुरक्षित जगह है, चौथा, पेशकश की गई जगह से किसी प्रकार की जनसंख्या को हटाना नहीं पड़ेगा। इसके अलावा पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश में पन बिजली की संभावना अधिक है और हरियाणा के पास बिजली उत्पादन के लिए कोई प्राकृतिक संसाधन भी नहीं हैं। अत:हरियाणा को परमाणु बिजली संयंत्र आवंटित करने के लिए शीघ्र फैसला लिया जाए। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री भजनलाल ने 25 अक्तूबर, 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी को इन्हीं चार मुद्दों का हवाला देते हुए पुन: पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने यह भी कहा था कि उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू एवं कश्मीर प्रांतों के लिए बिजली संयंत्र के लिए पहले ही जगह चिह्निïत की जा चुकी है और पंजाब में पन बिजली की संभावना अधिक है इसलिए हरियाणा को ही परमाण़ु संयंत्र दिया जाए और हिसार जिले का कुम्हारियां गांव इसके लिए सभी आवश्यक शर्तें पूरी कर रहा है।
प्रो0 सम्पत सिंह ने बताया कि उसके बाद 23 नवम्बर, 1987 को तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने परमाणु संयंत्र के लिए कुम्हारियां को सबसे उपयुक्त स्थल बताया था और शीघ्र ही स्वीकृति प्रदान करने को कहा था। साथ ही उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि हरियाणा एक बिजली की कमी वाला राज्य है। यहां न तो पनबिजली की संभावना है और कोयला हमें कोल खदानों से लाना पड़ता है जो काफी दूर है। कुम्हारियां में भूमि तथा पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री भजनलाल ने 16 जुलाई, 1993 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्हा राव को तीसरी बार पत्र लिखकर सभी तथ्यों का हवाला देते हुए फतेहाबाद में परमाणु संयंत्र लगाने का अनुरोध किया था।
प्रो0 सम्पत ङ्क्षसह ने बताया कि इसके बाद इस परमाणु संयंत्र का मुद्दा ठण्डे बस्ते में चला गया। अब वर्ष 2006 में तथा बाद में 2007 में मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डïा ने दो बार इस मुद्दे को केन्द्र के समक्ष उठाया और यह संयंत्र स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इनेलो व हजका के वर्तमान नेताओं को यह सोचना चाहिए कि क्या उनके पूर्वजों में इतनी अज्ञानता थी कि वे बार बार यह संयंत्र लगाने की माग केन्द्र से करते आ रहे थे। उन नेताओं को अपने जीवन का लम्बा राजनीतिक अनुभव था और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वे पार्टी के वर्तमान नेताओं से काफी बुद्घिमान थे।
उन्होंने दोनों पार्टियों के नेताओ ंपर कटाक्ष करते हुए कहा कि या तो वे अपने पूर्वजों क्रमश: चौधरी देवीलाल व चौधरी भजनलाल के अधूरे कामों को पूरा करने व उनकी नीतियों को आगे बढ़ाने की ब्यानबाजी करना छोड़़ दें अन्यथा इस प्रकार की ब्यानबाजी कर वे अपने पूर्वजों का अपमान ही कर रहे हैें क्योंकि दोनों पार्टियों के वर्तमान नेता अपनी पूरी राजनीति तो अपने पूर्वजों के नाम पर कर रहे हैं और अब इस संयंत्र का विरोध भी राजनीतिक विरोध के लिए कर रहे हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें ऐसी हैंं जो हरियाणा में विकास नहीं देखना चाहती। बिजली विकास के लिए एक आवश्यक पहलू है। उन्होंने कहा कि 2020 तक राष्टï्रीय राजधानी क्षेत्र में पडऩे वाला हरियाणा का लगभग 100 किलोमीटर का क्षेत्र उद्योग एवं वाणिज्य का सैक्टर होगा। यहां पर रोजगार, राजस्व, उद्योग, सेवा क्षेत्र को बढवा मिलेगा। उन्होंने बताया कि राज्य की सकल घरेलू उत्पाद 60 प्रतिशत कृृषि पर निर्भर करता था। आज यह 82 प्रतिशत उद्योग एवं वाणिज्य पर निर्भर है और यह दर्शाता है कि हरियाणा सही दिशा में बढ़ रहा है।
एक प्रश्न के उत्तर में प्रो0 सम्पत ङ्क्षसह ने कहा गोरखपुर परमाणु संयंत्र के लिए लगभग 1500 से 1600 एकड़ तक भूमि अधिगृहित हो रही है और न्यूनतम फ्लोर रेट 12 लाख प्रति एकड़ से बढ़ाकर 20 लाख रुपये प्रति एकड़ किया गया है। इसके अलावा ब्याज व अन्य शर्तों का पालन करने वाले भू मालिकों को 34 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 95 प्रतिशत भू मालिक जमीन देने को तैयार हैं, केवल 5 प्रतिशत लोग बाकी है, जो राजनीतिक बहकावे के शिकार हैं। किसी भी बात का समाधान बातचीत से संभव है और इस मामलें में 95 लोगों का सहमत होना भी इसी का परिणाम है।
बिजली निगमों के घाटे के सम्बन्ध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में प्रो0 सम्पत ङ्क्षसह ने कहा कि यह सही बात है कि प्रदेश के दोनों बिजली निगम घाटे में चल रहे हैं।उन्होंने व्यक्तिगत सुझाव देते हुए बिजली निगमों के पुनर्गठन तथा उन्हें तर्कसंगत बनाने के लिए सरकार को इस और ध्यान देने की आवश्यकता है।