आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के आल इण्डिया मेडिकल इंस्टिट्यूट में आज गोचर भूमि को नाजायज कब्जों से मुक्त करवाने के लिए नब्बे से भी ज्यादा दिनों से अनशन कर रहे संत गोपाल दास से मुलाक़ात कर संत से अनशन छोड़ कर राजनीतिक क्रांति के माध्यम से जनता की आवाज को उठाने का निवेदन किया | इस मौके पर आम आदमी पार्टी , हरियाणा के संयोजक डा. आशावंत व राज्य सचिव परमजीत सिंह भी विशेष तौर से अरविन्द जी के साथ संत गोपाल दास से मिलने गए थे |
केजरीवाल, जो खुद अनशन कर अपनी मांगों को मनवाने का रास्ता अपनाते रहे हैं, व सरकार दुवारा दिखाई बेरूखी के चलते स्वयं की ऊर्जा समाप्त करने की बजाये आन्दोलनों को नए तरीके से आगे बढ़ाने के लिए नए औजारों का बखूबी इस्तेमाल करते रहें हैं, ने गोपाल दास से कहा कि देश के संसाधनों को लूटने के लिए भ्रष्टाचार में लगी सरकार जनता की आवाज नहीं सुन रही है | अत: इस बहरी सरकार को जनता की आवाज सुनाने के इरादे से वैकल्पिक राजनीति के दुवारा एक राजनैतिक विकल्प तैयार करने के लिए जनता को लामबंद करने की जरूरत है |
ये मुलाकात इस मायने में महत्वपूर्ण है कि करीब नब्बे से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद भी हरियाणा सरकार ने संत गोपाल दास के स्वास्थय एवं गोचर भूमि पर किये गए नाजायज कब्जों को लेकर किसी तरह का वास्ता ही नहीं जताया | संत गोपाल दास सरकार की इस बेरूखी के चलते हुए हरियाणा छोड़ कर जाने का फैसला कर चुके हैं| इससे हरियाणा सरकार की आन्दोलनो के प्रति बेरूखी का पता चलता है |
संत गोपाल दास ने अरविन्द से अनुरोध किया कि उनकी पार्टी गोचर भूमि के सवाल को उठाये, ताकि सरकार को गोचर भूमि से नाजायज कब्जों को हटाने के लिए मजबूर किया जा सके | संत ने नाजायज कब्जों से सम्बंधित सभी कागजात मुहैया करवाने की बात कही है |
अरविन्द केजरीवाल ने लम्बे समय से आमरण अनशन पर बैठे संत गोपाल दास के बिगड़ते स्वास्थय को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए हरियाणा सरकार से मांग की कि अनशन पर बैठे आन्दोलनकारी से बातचीत कर मामले का हल निकाले ।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रिय संयोजक ने सरकार दुवारा आन्दोलनकारियों की आवाज को अनसुना कर देने की प्रवृति की निंदा की । पार्टी की राय में एक लोकतान्त्रिक राज्य में आन्दोलनकारियों की आवाज को सुनना व उलझे मुद्दों का हल निकालना सरकार का अहम् कर्तव्य बनता है । अपने गैर वैधानिक हितों के चलते सरकार इसी जिम्मेवारी का निर्वाह करने से बच रही है | इन हालत में राजनैतिक संघर्ष आज के समय का युग धर्म बनता है