आम आदमी पार्टी के नेता योगेन्द्र यादव तावडू सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं के बाद दो दिन वहां इन घटनाओं के शिकार लोगो और परिवारों तथा समाज के सभी वर्गों और पुलिस-प्रशासन से मिले. इसके बाद हालत को सुधारने के लिए उन्होंने यह बयान जारी किया है:
गलती हर तरफ से हुई..अब वक्त गलती सुधारने का है…
तावडू में 8 जून को जो कुछ हुआ शर्मनाक था. यहाँ तो बटवारे के समय भी दंगा –फसाद नहीं हुआ था. ऐसी जगह पर दंगे- फसाद का होना बहुत चिंता की बात है. ज्यादा चिंता इस बात की है कि आग पर पानी डालने के बजाय दोनों तरफ से मुसलमान – हिन्दू का बैर बढाने की कोशिश हो रही है.
इस बैर को ख़त्म करना है तो शुरुआत सच्चाई से करनी होगी. सच ये है कि 8 तारीख को सब तरफ से भूल हुई. हिन्दू और मुस्लमान से भूल हुई, पुलिस और प्रशासन से भूल हुई. हर समाज में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं. लेकिन 8 तारीख़ को दोनों तरफ से ऐसे खुराफाती लोग हावी हो गए जो नहीं चाहते कि अमन-चैन कायम हो। एक के बाद एक गलतियाँ होती गई.
· ओवर लोड डम्पर को शहर के बीच स्पीड से चलाया गया जिससे एक्सीडेंट हुआ. ऐसा बार – बार हो रहा है. जनता की नाक में दम है, लेकिन पुलिस प्रशासन कुछ नहीं करती.
· एक्सीडेंट होने के बाद ड्राइवर और कन्डक्टर को बेरहमी से पीट – पीट कर अधमरा कर दिया गया.
· झूठी अफवाह फैलाई गई कि ड्राइवर और कन्डक्टर की मौत हो गई है. सच की जांच किये बिना लोग तावडू पहुँच कर बदले की कार्रवाई करने लगे. इनमे से कुछ के पास अवैध हथियार भी थे.
· झूठी अफवाह फैलाई गई कि मंदिर तोड़ दिया गया है और मूर्तियों को नुकसान हुआ इसकी जांच हुए बिना बदले में मस्जिद पर हमला हुआ.
· मौके पर पुलिस को पूरी ताकत के साथ तैनात करने में पांच- चार घंटे की देरी हुई. इतनी देर तक व्यापारी भाई और आम जनता दंगाइयों के सामने बेबस रहे।
· शाम तक सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद पलटवार होने दिया गया. कर्फ्यू लगने के बाद भी आगजनी की घटनाएँ हुईं।
मतलब यह कि एक के बाद एक हिन्दू, मुसलमान, पुलिस और प्रशासन- सब के तरफ से गलतियों का सिलसिला चलता रहा. आज अगर हम यह हिसाब करने बैठें कि किसकी गलती ज्यादा थी और किसकी कम तो ये झगडा और बैर बढ़ता ही जायेगा. कर्फ्यू तो उठ हो जायेगा लेकिन आपस का बैर मन में बैठ जायेगा. झगड़े के बढ़ने में चंद नेताओं को छोड़ कर किसी का फायदा नहीं है.
आपसी वैर और झगड़े के इस सिलसिले को रोकने के लिये दोनों तरफ से समझदार और शांतिप्रिय लोगो को सामने आना होगा. इस मामले को सुलझाने के लिए
मेरा सुझाव है कि द्वारा दोनों समुदायों के शांतिप्रिय नागरिकों की समिति जल्द से जल्द बनायी जये. शांति बहाली के लिए मैं सबके सामने निम्नलिखित प्रस्ताव रखना चाहता हूँ .
1. एक्सीडेंट का शिकार
दानवीर अपने परिवार का इकलौता बेटा था. उसकी तीन बहनें हैं जिनकी शादी नहीं हुई है. इन तीनो बहनों के कन्यादान की जिम्मेदारी मुस्लिम समाज उठाये.
2. ड्राइवर और कन्डक्टर
, रईस और मुबारक, के इलाज के बाद उन्हें दोबारा रोजगार के काबिल बनाने की जिम्मेवारी हिन्दू समाज ले.
3. मंदिर-मस्जिद को जो भी नुकसान हुआ उसके बारे में शहर के हिन्दू और मुसलमान मिल कर मरम्मत अरवाएं और सब की तरफ से माफ़ी मांगे.
4. दंगा-फसाद में जिस- जिस की दुकान, रेहड़ी, माकन आदि को जो भी नुक्सान हुआ है उसकी पूरी भरपाई सरकार जल्द से जल्द करे.
5. एक्सीडेंट, मार–पीट और उसके बाद दंगा–फसाद में जिन जिन लोगों के खिलाफ सबूत हैं उनके किलाफ़ एफआईआर दर्ज हो और सख्त कार्यवाही हो. सिर्फ शक के आधार पर निर्दोष लोगों को न फंसाया जाये
6. डंपरों की ओवर लोडिंग में शामिल पुलिसबल पर कार्यवाही हो डंपरों के लिए बाईपास बनाया जाये। जबतक बाईपास नहीं बनता तब तक स्पीड ब्रेकर लगा कर डंपरों की मुसीबत से जनता को राहत दिलायी जाये.
7 . अवैध हथियारों की शिकायत की जाँच हो और इस इलाके को अवैध हथियारों से निजात दिलायी जाये. इलाके में बढ़ रही चोरी डकैती और गुंडागर्दी को कम करने के लिए कार्यवाही हो.
हम सब मिल कर यह तय करें कि तावडू के इतिहास में हुआ यह पहला दंगा -फसाद तावडू के इतिहास में इस किस्म की आखिरी घटना साबित हो. आगे से कभी ऐसी वारदात न हों- इसके लिए
मैं शहर के शांतिप्रिय नागरिकों से अपील करता हूँ कि वो आगे आयें और अमन चैन को बहाल करें.