पचंकूला, 3 मार्च- अक्षय ऊर्जा हमारे भविष्य की ऊर्जा है तथा धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को प्राकृतिक संसाधनों के साथ एक संतुलन बनाए रखना चाहिए जिससे हमारी पृथ्वी लम्बे समय तक रहने योग्य बनी रहे और हमारी आने वाली पीढ़ी उनके भविष्य को नष्ट करने के लिए हमेें दोषी न ठहराए।
यह बात अक्षय ऊर्जा विभाग हरियाणा के निदेशक श्री बलराज सिंह ने अक्षय ऊर्जा भवन सेक्टर 17 पंचकूला में राज्य स्तरीय समारोह को सम्बोधित करते हुए कही। यह समारोह अक्षय ऊर्जा की बचत में बेहतर कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था। उन्होंने ग्र्राम पंचायतों और संस्थानों के योगदान के लिए बधाई देते हुए कहा कि ज्यादातर अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकीयों का परीक्षण किया जा चुका है। उनमें से कुछ जैसे सौर ऊर्जा को ग्रिड समानता हासिल हो चुकी है इसलिए अक्षय ऊर्जा की क्षमता को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाने के लिए उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बजट 2015-16 के अनुसार वर्ष 2022 तक 1.75 लाख मैगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने का हमारे देश का लक्ष्य है जो कि एक राष्ट्र के सुनहरे भविष्य की कल्पना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
श्री सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार नवीकरण ऊर्जा और ऊर्जा संरक्षण के कई कार्यक्रम चला रही है जिसमें ग्राम पंचायतों की भागीदारी से कई उपकरण गंाव में लगाए जाते है। पंचायतों के प्रोत्साहन से लोग अपनी आदतों में भी बदलाव ला सकते है। सौर गीजर, सौर होम लाईट, सौर पम्प, सौर स्ट्रीट लाईट, सौर इन्व्रटर, कुकर और बायोगैस प्लांट आदि को अपनाकर। पंचायतों को इनके रख-रखाव व सुरक्षा हेतु भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। उचित रख-रखाव उपकरणों के लिए जरूरी है जिससें ये लम्बे समय तक काम करते रहे। उन्होंने कहा कि उपकरणों में पैदा होने वाली छोटी समस्या को पंचायत खुद ठीक करवा सकती है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सोलर पॉलिसी घोषित की गई है जिसके तहत सौर गीजर और सौर पावर प्लांट 500 गज व अधिक के मकान पर अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि राज्य नेट मीटरिंग की भी सुविधा उपलब्ध है जिसके तहत ग्राहक द्वारा पैदा की जाने वाली बिजली ग्रिड में चली जाएगी और उतनी राशि बिजली के बिल में से कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष में 1100 सौर पम्प राज्य में स्थापित किये जाने है जिन पर 60 प्रतिशत सब्सीडी दी जाएगी। श्री बलराज ने कहा कि बायोगैस एक अतिरिक्त ऊर्जा स्त्रोत्र है जिसे किसान भी ऊर्जा पैदा कर सकते है। यह ना सिर्फ किसान को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करेंगा बल्कि खेतों में जलाए जाने वाले भूषे से पैदा होने वाले प्रदूषण से भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के दो प्लांट महेन्द्रगढ़ व भिवानी में स्थापित है। राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम के लिए दिये जाने वाला बजट लगभग तीन गुणा बढ़ा दिया है जो 665 लाख से बढ़ाकर 1750 लाख कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में अक्षय ऊर्जा के कार्यक्रमों के लिए ग्रीन एनर्जी फंड का गठन किया गया है जिसके चलते सभी बिजली उपभोक्ताओं (कृषि क्षेत्र को छोडक़र) पर दो पैसे प्रति युनिट का उपकर लगाया जाएगा।
श्री बलराज सिंह द्वारा ग्राम पंचायत और ऊर्जा संरक्षण के पुरस्कार दिये गये। वर्ष 2011-12 के ग्राम पंचायत पुरस्कार कुरूक्षेत्र के गांव उमरी को पहला पुरस्कार पांच लाख रूपये, रेवाड़ी के गांव परखोतमपुर को दुसरा पुरस्कार चार लाख रूपये व जिला पलवल के कुदराना गांव को तीसरा पुरस्कार तीन लाख रूपये दिया। इसी तरह वर्ष 2012-13 के लिए रेवाड़ी के गांव जाटुसान को प्रथम, रेवाड़ी के ही गांव धवाना को द्वितीय व गुडगाव के गांव पटौदी को तृतीय स्थान का पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। ऊर्जा सरंक्षण में पहला पुरस्कार दो लाख रूपय एच टी इन्डस्ट्री में शाहबाद सहकारी चीनी मिल को दो लाख रूपये, पानीपत रिफायनरी पानीपत को दुसरे पुरस्कार के लिए एक लाख रूपये व अल्ट्राटैक सीमेंट पानीपत को तीसरे स्थान के लिए 50 हजार रूपये का नकद ईनाम दिया गया। एल टी इन्डस्ट्री श्रेणी में मिल्क प्लांट जीन्द को प्रथम पुरस्कार एक लाख रूपये, सरकारी इमारतों की श्रेणी में पहला पुरस्कार दो लाख रूपये, टेलीफोन एक्सचेन्ज अम्बाला सीटी तथा टेलीफोन एक्सचेन्ज हिसार को दुसरे स्थान के लिए एक लाख रूपये का नकद पुरस्कार दिया गया। वाणिज्य श्रेणी में जाट धर्मशाला जीन्द को प्रथम स्थान के लिए एक लाख रूपये, शिक्षण संस्थान में ओ पी जिन्दल विश्वविद्यालय सोनीपत को पहले पुरस्कार के लिए एक लाख रूपये जबकि दीन बन्धु छोटुराम विश्वविद्यालय मुरथल सोनीपत को दुसरे स्थान के लिए 50 हजार रूपये तथा एम एम कॉलेज फतेहबाद को तीसरे स्थान के लिए 25 हजार रूपये का नकद पुरस्कार दिया गया। व्यक्तिगत श्रेणी में फरीदाबाद के डॉ० पी पी मित्तल को 50 हजार रूपये का नकद एवं प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
अक्षय ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त निदेशक श्री डी के चौपड़ा व हरेडा के मुख्य वैज्ञानिक अभियन्ता ने भी समारोह को सम्बोधित किया। समारोह में पुरस्कृत ग्राम पंचायतों के सदस्यों के साथ-साथ संस्थानों के प्रभारी भी उपस्थित थे।