कक्षा की छात्र निधि ने एक ड्राइंग प्रतियोगिता में स्वामी दयांनद जी के जीवन की एक घटना का मुँह बोलता चित्र बनाया, जिसे सभी ने सराहा है,
यह घटना तब की है जब एक बार जालंधर के सरदार विक्रम सिंह ने उनसे कोई चमत्कार दिखाने को कहा। स्वामी दयानंद जी ने चमत्कारों की व्यर्थता समझाते हुये बात को टाल दिया, लेकिन फिर अभिभावक सा वात्सल्य दिखाते हुये उनकी इच्छा को पूरा भी किया। हुआ यूं कि जब स्वामी जी से विदा लेकर विक्रम सिंह अपने तांगे पर बैठकर जाने लगे तो दो घोड़े जुता वह तांगा अपने स्थान से रत्ती भर भी सरक नहीं सका। गाड़ीवान चाबुक फटकारता रहा, घोड़े जोर लगाते रहे। विक्रम सिंह ने पलटकर देखा तो स्वामी जी अपने हाथ से तांगे को थामे चुपचाप खड़े थे।