के के शर्मा, बीकानेर : यह काफी पुरानी कहावत है कि एक झूठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच लगने लगता है।
#झूठा_राहुल_गांधी_राफ़ेल
किसी भी राजनीतिक दल के नेता की चाहत होती है कि वह देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी देश का प्रधानमंत्री बनने की चाहत रखते हैं। ऐसी चाहत रखना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। हालांकि वे कुछ जल्दी में हैं और वे झूठ और फरेब के हथकंडे अपना रहे हैं। इस क्रम में वे कभी अपनी अधूरी जानकारी पर एक्सपोज हो रहे हैं तो कभी फर्जी खबरें फैलाकर देश को गुमराह कर रहे हैं।राहुल गांधी को झूठ बोलने की आदत हो गई है :आलोचना लोकतंत्र की ताक़त है, होनी चाहिए. लेकिन लोकतंत्र झूठे आरोप लगाने का हक़ नहीं देता है, राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए देश को निराश करने का अधिकार किसी को नहीं देता है.’
“‘जी बहुत चाहता है सच बोलें, क्या करें हौसला नहीं होता.’” यह बात राहुल और कांग्रेस पर लागू होती है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 13 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हैं, उनकी उम्र भी 48 की होने वाली है, लेकिन लगता है कि मानसिक तौर पर वे अभी भी परिपक्व नहीं हुए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले 13 वर्षों के अपने राजनीतिक जीवन में वो हमेशा ऐसी बातें, ऐसी हरकतें करते आए हैं, जो बताती हैं कि उनकी अपनी सोच कुछ नहीं है। दूसरे लोग जैसा उनके कहते हैं, वो बोल देते हैं। इधर, पिछले कुछ वर्षों से उन्हें बदलने की कोशिश की जा रही है, ब्रांडिंग के लिए विदेशी एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है, लेकिन कोई फर्क दिखाई नहीं पड़ रहा है। जाहिर है कि जिस नेता को जमीनी मुद्दे नहीं पता, जमीनी सच्चाई नहीं पता वो कैसे जनता की नुमाइंदगी ठीक से कर सकता है। उस पर भी तुर्रा ये कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है, लेकिन देश की जनता ऐसे शख्स को प्रधानमंत्री कैसे चुन सकती है, जिसका जनता के साथ जुड़ाव ही नहीं हो। एक नजर डालते हैं ऐसी घटनाओं पर जिनसे यह समझने में आसानी होगी कि राहुल बाबा कहीं पूरी जिंदगी राहुल बाबा तो नहीं रहेंगे।
अफवाह, झूठ और दुष्प्रचार के दम पर राफेल डील को निरस्त करवाने की कुत्सित कोशिश जारी है और इस अंतरराष्ट्रीय साजिश को ‘राहुल गांधी एंड कंपनी’ अंजाम देने में लगी है।अंतरराष्ट्रीय हथियार कंपनियों, आर्म्स डीलर तथा दो राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने लाभ के लिए अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मोदी सरकार को बदनाम करने में जुटे हैं, ताकि यह सरकार राफेल डील को निरस्त कर दे। हथियारों की दलाली करने वाले संजय भंडारी और गांधी परिवार के दामाद राबर्ट वाड्रा का क्या रिश्ता है? लंदन में राबर्ट वाड्रा को मकान किसलिए गिफ्ट किया गया? राहुल यह याद रखें कि देश के सुरक्षा के मसले पर उनका किया जा रहा ड्रामा अंत में उन्ही पर भारी पड़ेगा।कांग्रेस अध्यक्ष ने संसद के अंदर झूठ बोला था। उन्होंने कहा था कि वो फ्रांस के राष्ट्रपति रहे फ्रांस्वा ओलांद से मिले थे और गोपनीय जानकारियों के बारे में पूछा था। ये सिर्फ उनके अाधी अधूरी जानकारी साबित करती है। सच तो ये है कि वर्ष 2008 में मनमोहन सिंह की सरकार में फ्रांस सरकार के साथ गोपनीय पैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे।
इन दिनों गांधी वंशज एक ही राग अलापने में ज्यादा व्यस्त हैं, मेड इन मंदसौर, मेड इन राजस्थान, मेड इन डूंगरपुर, मेड इन मिर्जापुर, मेड इन तेलंगाना अब मेड इन चित्रकूट। इससे उनकी रचनात्मक भाषा शैली का भी पता चलता है। बार बार ‘मेड इन’ का राग अलापने वाले राहुल गाँधी से लोगों ने उन्हीं के निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति को लेकर सवाल दागने शुरू कर दिए हैं। सवाल ये कि आखिर क्यों राहुल गांधी मोबाइल फ़ोन का निर्माण ‘मेड इन अमेठी’ क्यों नहीं चाहते? ! राहुलजी आज भले कुछ भी बोल रहें हैं, पर सच्चाई ये है कि पिछले 70 सालों में ‘मेड इन अमेठी’ लिखा हुआ ‘पतली पिन का चार्जर’ भी नहीं बना पाए!”
अपना पाप दूसरों के सिर मढ़ना कांग्रेस की पुरानी आदत है। कांग्रेस झूठ बोलकर देश की जनता को भ्रमित करती है और झूठा बताती है भाजपा को। उन्होंने सवाल किया कि सौ दिन में महंगाई कम करने का झूठ कांग्रेस ने कहा था या श्री मोदी ने? रोजगार देने का वादा किसने किया था? देश में साठ साल से गरीबी दूर करने का झांसा कौन दे रहा है? देश में दस साल तक राज किसने किया, डॉ. मनमोहन सिंह ने या सोनिया और राहुल ने? दस साल में देश में बढ़ी महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का जिम्मेदार कौन है?
राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन उनमें गंभीरता नाम की कोई चीज नहीं दिखाई पड़ती है। लगता है या तो उन्हें ज्ञान नहीं है या फिर उनमें समझ नहीं है, तभी तो वह हमेशा झूठी बयानबाजी करते हैं। कई ऐसे मामले हैं जिन पर राहुल गांधी ने झूठे बोला या फिर झूठे आंकड़े पेश किए है। एक नजर डालते हैं झूठ के सरदार राहुल गांधी के मिथ्या बयानों पर।
*कश्मीर पर झूठ फैलाते राहुल गांधी*
अमेरिका में राहुल गांधी ने ये निराधार आरोप भी लगाया कि जम्मू कश्मीर में आतंक से निपटने में मोदी सरकार नाकाम रही है। अगर कश्मीर पर वो सच बोल रहे होते तो यह कहते कि वहां आतंक के सफाये का दौर जारी है और सरकार आतंक से सहानुभूति रखने वालों का हिसाब करने में भी लगी है। फिर राहुल गांधी यह कैसे बताते कि कश्मीर समस्या कांग्रेस की ही देन है! वे यह भी कैसे बताते कि उनके ही पूर्वज देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों की वजह से आज भी कश्मीर समस्या बनी हुई है। धारा 370 और 35 A जैसे प्रावधान भी कांग्रेस की ही उपज हैं।
25 सेकेंड में तीन झूठ बोल गए राहुल गांधी
एक कार्यक्रम में राहुल गांधी मोदी सरकार को निशाने पर ले रहे थे, लेकिन कम जानकारी के कारण अपनी ही फजीहत करवा बैठे। दरअसल वे 25 सेकेंड में ही तीन झूठ बोलते पकड़ लिए गए। पहला ये कि उन्हों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को आरबीआई का चेयरमैन कह दिया। दूसरा उन्होंने डिमोनिटाइजेशन को डिमोलेटाइजेशन कह दिया। तीसरा यह कि उन्होंने कहा कि रघुराम राजन को मोदी सरकार ने हटा दिया, जबकि सच्चाई ये है कि उनका कार्यकाल पूरा हुआ था।
*एससी/एसटी एक्ट पर राहुल गांधी ने फैलाया झूठ–*
20 मार्च को जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत हुए एफआइआर में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई, लेकिन राहुल गांधी ने झूठी खबर फैला दी। उन्होंने कर्नाटक की एक सभा में कहा कि एससी/एसटी एक्ट को ही भंग कर दिया गया है। राहुल गांधी किसी कानून को भंग करने और तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश में अंतर नहीं जानते होंगे, ऐसा तो नहीं माना जा सकता है। जाहिर है उन्होंने जानबूझ कर झूठ फैलाया और देश को हिंसा की आग में धकेल दिया।
*राहुल गांधी का दिखावटी दलित प्रेम-* राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर भूख हड़ताल बैठने के लिए आये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पोल उनके साथियों ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करके खोल दी। इस वायरल फोटो से देश को पता चला कि राहुल गांधी अपने साथियों के साथ मजे से छोले-भठूरे खाकर, फिर उपवास करने के लिए समाधि स्थल पर आये थे। दलित प्रेम के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी नेता कुछ घंटो के उपवास का दर्द भी न सह सके।
*डेटा लीक पर झूठ फैलाकर बुरे फंसे राहुल गांधी*
फेसबुक का डेटा चुराने वाली कंपनी, कैंब्रिज एनालिटिका का कांग्रेस के लिए काम करने की मीडिया रिपोर्टों में खुलासा हुआ। इस चोरी को छिपाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के NaMo App पर डेटा चोरी का झूठा आरोप लगा दिया। सोशल मीडिया पर #NaMoAppdelete कैंपेन शुरु कर दिया, लेकिन इसका असर उल्टा पड़ा NaMo App के डाउनलोड की संख्या बढ़ने लगी। वहीं डेटा लीक करने के आरोपों से बचने के लिए कांग्रेस को अपना INCIndia App और पार्टी का आधिकारिक वेबसाइट एड्रेस हटाना पड़ा।
*चीन के राजदूत से मिलने पर राहुल ने देश से झूठ बोला*
डोकलाम विवाद के बीच राहुल गांधी ने 8 जुलाई 2017 को चीन के राजदूत से दिल्ली में मुलाकात की थी। सरकार और जनता से छिपकर की गई इस मुलाकात की खबरें जब सामने आईं तब भी कांग्रेस पार्टी ने झूठ बोला। हालांकि राहुल की चीनी राजदूत से हुई मुलाकात के रहस्य का पर्दा तब उठा जब 10 जुलाई को चीनी दूतावास की वेबसाइट पर मुलकात की तस्वीरें जारी कर दी गई। जाहिर है राहुल गांधी ने इस मामले में भी झूठ बोला और देश को धोखा देने की कोशिश की।
*महाभारत के कालखंड पर राहुल गांधी ने झूठ फैलाया*
20 मार्च, 2018 को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने राहुल गांधी ट्वीट किया जिसमें महाभारत को 1000 साल पहले की घटना बता दिया। खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानने वाले व्यक्ति को महाभारत के कालखंड के बारे में जानकारी नहीं है तो सोचनीय बात जरूर है। हालांकि ऐसी शंका जाहिर की गई कि उन्होंने जानबूझ कर भी किया होगा। ऐसा कहा जा रहा है कि इस्लाम धर्म के प्रति रूझान के कारण भी वे महाभारत काल से पहले इस्लाम धर्म के आगमन साबित करना चाहते होंगे।
*राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस पार्टी भी बोलती है झूठ*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने के लिए कांग्रेस पार्टी भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करती है। हाल ही में जब केंद्र सरकार ने राज्यसभा में स्वीकार किया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का लोन ‘राइट ऑफ’ किया तो कांग्रेस पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि सरकार ने कंपनियों का 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। जबकि ‘राइट ऑफ’ का सीधा मतलब ये होता है कि बैंक ने उसे अपनी बैलेंस शीट से हटाया है न कि लोन माफ किया है।
*राफेल सौदे पर राहुल गांधी के झूठे आरोप*
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर लगातार झूठ बोल रहे हैं। राहुल गांधी इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश में लगे हैं। आपको बताते हैं कि इस सौदे की सच्चाई क्या है। राहुल का आरोप है कि यूपीए सरकार द्वारा 2012 में राफेल विमान के तय किए गए मूल्य से 3 गुना ज्यादा देकर एनडीए सरकार ने यह सौदा मंजूर किया है। राहुल कहते हैं कि लागत 526 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,570 करोड़ रुपये हो गई है। राहुल गांधी के आरोपों से इतर हकीकत यह है कि ये विमान उड़ने की स्थिति में खरीदे जा रहे हैं और इसके तहत 12,600 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इस बचत में फ्लायवे हालत में विमान के अधिग्रहण की लागत 350 मिलियन यूरो यानी 27 अरब 74 करोड़ 25 लाख 49 हजार 144 रुपये और हथियार, रखरखाव और प्रशिक्षण के यूरो 1300 मिलियन यूरो यानि 10 खरब 30 अरब 43 करोड़ 75 लाख 39 हजार 632 करोड़ शामिल है। दरअसल यूपीए सरकार के समय सिर्फ 18 विमान ही सीधे उड़ने वाली हालत में भारत आने थे, लेकिन अब इन विमानों की संख्या 36 तक बढ़ गई। फ्रांस इस सौदे की कीमत करीब 65 हजार करोड़ चाहता था, लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के प्रयासों से सौदे की कीमत कम हो गई। इतना ही नहीं इस सौदे के लिए पीएमओ ने लगातार बातचीत के हर दौर पर नजर बनाए रखा। प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने डेसॉल्ट (Dassault) एविएशन द्वारा बताई गई शर्तों से बेहतर शर्तों की आपूर्ति के लिए अंतर-सरकारी समझौते यानि एक देश की सरकार से दूसरे देश की सरकार के साथ हुए समझौते को अंतिम रूप दिया गया। इस समझौते से जहां कीमतें कम करने में सफलता मिली वहीं बिचौलियों के लिए कोई स्कोप ही नहीं बचा।
*टाटा नैनो को अनुदान दिए जाने का झूठ*
पोरबंदर में माछीमार समुदाय की रैली में राहुल ने कहा कि टाटा नैनो को बनाने के लिए नरेंद्र मोदी ने 33 हजार करोड़ रुपये दे दिए। इस बात पर रतन टाटा ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी दी और कांग्रेस को जवाब दिया, कहा राज्य सरकार से उसे 584.8 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में मिले न कि अनुदान के रुप में। कंपनी ने बयान में कहा है कि गुजरात सरकार द्वारा बनाए गए निवेशक अनुकूल माहौल के चलते कंपनी साणंद में विनिर्माण कारखाना लगाने को प्रोत्साहित हुई।
पहले अखिलेश पर साधते थे निशाना, बाद में किया गठबंधन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कामकाज की बहुत तारीफ की थी। पर हम आपको एक ऐसी सच्चाई बताते हैं, जिससे आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे की यह शख्स कितना झूठा और मौकापरस्त है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने वाले राहुल गांधी पहले अखिलेश यादव और उनकी सरकार को पानी पी-पी कर कोसते थे। अक्टूबर 2016 में मुलायम के गढ़ मैनपुरी में एक रैली में राहुल गांधी ने अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उस साईकल का पैडल मार रहे हैं जो अपने स्टैंड पर खड़ी है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश आगे नहीं बढ़ पाया है।’
रायबरेली से भेदभाव को लेकर भी बोला झूठ
राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में विकास की योजनाओं को लेकर भी मोदी सरकार पर झूठे आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी कहते रहे हैं कि मोदी सरकार आने के बाद से रायबरेली के साथ भेदभाव किया जाता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूपीए के जमाने में राजीव गांधी के नाम पर रायबरेली में जो पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई थी उसे पांच वर्षों के दौरान यूपीए सरकार ने महज 1 करोड़ रुपये दिए थे। जबकि मोदी सरकार ने पहले दो वर्षों में इस यूनीवर्सिटी के लिए 360 रुपये देकर इसे एक संस्थान के रूप में विकसित किया। इतना ही नहीं रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीकॉम इंडस्ट्रीज नाम का संस्थान बंद होने के कगार पर था और वहां अफसरों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस संस्थान को 500 करोड़ आवंटित कर जीवनदान दिया और 1100 करोड़ रुपये का आर्डर भी दिलाया।
लोकसभा सदस्यों की संख्या पर झूठ बोला
झूठ बोलना राहुल गांधी की आदत में शुमार हो चुका है। जाने-अनजाने में वो अपने झूठ की वजह से मजाक के पात्र भी बनते रहे हैं। पिछले वर्ष सितंबर में राहुल गांधी जब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या ही 546 बता डाली। जबकि सच्चाई यह है कि लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 545 है, इनमें से 543 को जनता चुनती है और दो सदस्य (ऐंग्लो-इंडियन) मनोनित किए जाते हैं। आप ही बताइए जो शख्स इतने वर्षों से लोकसभा का सदस्य है, उसे लोकसभा के सदस्यों की संख्या तक नहीं पता है।
गरीबी का भोजन से लेना-देना नहीं- राहुल
अगस्त, 2013 में राहुल ने इलाहाबाद के पंडित गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के एक कार्यक्रम में कहा था, ‘गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति है। इसका भोजन, रुपये या भौतिक चीजों से कोई लेना-देना नहीं। उन्होंने यहां तक कहा कि जबतक आदमी खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, उसकी गरीबी खत्म नहीं होगी।’
इंदिरा कैंटीन को बताया अम्मा कैंटीन
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंदिरा कैंटीन योजना की लॉन्चिंग में भी राहुल गांधी के ज्ञान पर सवाल उठ गए। पहली बार में उन्होंने योजना का नाम ही गलत बता दिया। जबकि यह योजना उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू हो रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने उसे तमिलनाडु में जयललिता के नाम पर चलने वाली अम्मा कैंटीन बता दिया। हालांकि, बाद में उन्हें भूल का अंदाजा हुआ और उन्होंने गलती सुधारने की कोशिश की। लेकिन जिस व्यक्ति में सामान्य ज्ञान का इतना अभाव है उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?
राहुल गांधी की इन्हीं हरकतों के चलते जनता लगातार हर चुनावों में कांग्रेस को सबक सिखाती रही है, लेकिन वे समझने के लिए तैयार नहीं हैं। पिछले कुछ समय में, खासकर गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने ऐसी ही कई उल्टी-सीधी हरकतें की हैं, जिसके चलते उनकी मानसिकता और समझ को लेकर गंभीर सवाल पैदा हो रहे हैं। वे कभी गलत आंकड़ा पेश करते हैं, तो कभी झूठ बोलकर जनता को बरगलाने का प्रयास करते हैं।
महंगाई को लेकर राहुल की समझ पर सवाल
राहुल ने पिछले वर्ष गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ट्विटर पर लिखा “जुमलों की बेवफाई मार गई, नोटबंदी की लुटाई मार गई “ “GST सारी कमाई मार गई बाकी कुछ बचा तो – महंगाई मार गई “ “बढ़ते दामों से जीना दुश्वार, बस अमीरों की होगी भाजपा सरकार?” राहुल गांधी ने इस सवाल के साथ एक इन्फोग्राफिक्स भी पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने गैस सिलिंडर, प्याज, दाल, टमाटर, दूध और डीजल के दामों का हवाला देकर 2014 और 2017 के दामों की तुलना में सभी चीजों के दामों में वास्तविक दामों से सौ फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी दिखा दी है। जैसे ही राहुल गांधी ने ये ट्वीट किया, लोगों ने इस चालाकी को पकड़ लिया और फिर शुरू हो गई राहुल की खिंचाई।
45,000 करोड़ एकड़ जमीन की बात कहकर बने सवाल
गुजरात चुनाव में प्रचार के दौरान ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलने के क्रम में ऐसा कुछ कह दिया था जो कि असंभव है। राहुल ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अपने उद्योगपति दोस्तों को 45,000 करोड़ एकड़ जमीन दे दी, लेकिन राहुल ने जमीन का जो आंकड़ा बोला वह असंभव है। 45,000 करोड़ एकड़ जमीन इस धरती से भी तीन गुना ज्यादा है। आपको बता दें कि पूरी धरती ही लगभग 13,000 करोड़ एकड़ की है।
जवाब का सवाल मांगते राहुल
पिछले दिनों जवाब का सवाल मांगते हुए राहुल गांधी का एक वीडियो बहुत ज्यादा वायरल हुआ था। उस वीडियो को देखने के बाद ये बात साफ हो गई कि राहुल गांधी अपनी ही फजीहत क्यों करा बैठते हैं। क्योंकि उन्हें न तो भारत की और न ही भारतवासियों के बारे में कुछ भी पता है। उन्हें जो कुछ सिखाया जाता है, जो कुछ समझाया जाता है, वे उसी के आसपास मंडराते रह जाते हैं। उनकी अपनी कोई सोच ही नहीं है, शायद वे कभी बना ही नहीं पाए हैं।
पूरा विश्लेषण यह समझाने के लिए काफी है कि राहुल गांधी जनता के बीच के नहीं, बल्कि जनता पर जबरन थोपे गए नेता हैं। इस देश के नागरिक प्रधानमंत्री पद एक ऐसे शख्स को देखना चाहते हैं, जिसका कोई विजन हो, देश को आगे ले जाने की संकल्प है, देश के मुद्दों की समझ हो और देश की समस्याओं को खत्म करने की ललक हो। इनमें से एक भी गुण राहुल गांधी के व्यक्तित्व में तो दिखाई नहीं देते हैं। राहुल गांधी की ब्रांडिंग की जो कोशिश हो रही हैं उससे, उनका व्यक्तित्व निखर जाएगा ऐसा लगता तो नहीं है। दरअसल, नेतृत्व की योग्यता को किसी फैक्ट्री में डिजाइन नहीं किया जा सकता है, इसके लिए खुद के भीतर आत्मविश्वास पैदा करना होता है। यह आत्मविश्वास वर्षों तक जमीनी स्तर पर लोगों के बीच कार्य करने के अनुभव से आता है। इन गुणों की कमी के बिना नेतृत्व क्षमता पैदा होना मुश्लिक होता है। यह सभी गुण अभी तक राहुल के भीतर दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कब बड़े होंगे राहुल बाबा?
जाहिर है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही मोदी सरकार पर सवालों की बौछार करने में जुटे हों, लेकिन असलियत ये है कि वे खुद ही सवालों में घिरे हुए हैं। राहुल गांधी को झूठ बोलने में भले ही महारत हासिल हो, लेकिन हर बार उनका झूठ पकड़ा जाता है। और यही वजह है कि चुनाव दर चुनाव देश की जनता उनकी पार्टी को धूल चटाती जा रही है।