प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह ने कहा है कि देश के अध्यापकों को नीति-निर्धारण की प्रक्रिया से दूर रखना खेद की बात है । प्रधानमंत्री शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय सम्मान पाने वाले शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा0 राधा कृष्णन का जन्म दिवस 5 सितम्बर का शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाना हम सबके लिए अत्यंत गौरव तथा प्रसन्नता की बात है । इस तरह हम देश के शिक्षकों के प्रति और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं के लिए आभार प्रकट करते हैं । दरअसल शिक्षक दिवस हमारे सम्माननीय शिक्षक वर्ग को यह बताने का गौरवपूर्ण उचित अवसर प्रदान करता है कि उनके कारण ही हम अपने जीवन को गौरवान्वित महसूस करते हैं । मैं इस अवसर पर आप सबके साथ महान दार्शनिक, महान विद्वान, महान अध्यापक तथा महान शिक्षाविद् सर्वपल्ली डा0 राधा कृष्णन और उनकी सेवाओं का स्मरण करके उन्हें श्रध्दांजलि पेश करता हूं।
दरअसल अध्यापन एक सम्मानित पेशा है । अध्यापक के रूप में गुजारे मेरे जीवन के दिन मेरी जिंदगी के अत्यंत संतोषजनक दिन रहे हैं । यह सच्चाई अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है कि यह देश का शिक्षक वर्ग ही है जिसके माध्यम से राष्ट्र के चरित्र और उसकी संस्कृति और उसके मूल्यों की पहचान बनती है । शिक्षकों की शिक्षण पध्दति और उनकी मूल्य व्यवस्था हमारे बच्चों को सीधे तौर से प्रभावित करती है । सच्चाई यह है कि शिक्षा पध्दति में सुधार, सफल और श्रेष्ठ स्कूली शिक्षा के लिए न केवल आवश्यक है बल्कि अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षक इस सुधार व्यवस्था के अग्रणी भागीदार समझे जाते हैं। लेकिन अत्यंत खेद की बात है कि शिक्षकों को शिक्षा प्रणाली के नीति निर्धारण, प्रशासन और प्रबंधन तथा दिन प्रतिदिन के शैक्षिक कार्यों में निर्णय लेने की प्रक्रिया से दूर रखा जाता है । इसलिए शिक्षा के सुधार के लिए शिक्षक को अधिकार संपन्न बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। शिक्षा के सुधार और विकास की नीतियों के परिप्रेक्ष्य में अध्यापकों को नीति निर्धारण की प्रक्रिया में वास्तविक हिस्सेदारी देना आवश्यक है।