छत्तीसगढ़ , अरुण कान्त शुक्ला “आदित्य :
छत्तीसगढ़ राज्य के क़ानून छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम के तहत पहली सजा –
- रायपुर,छत्त्तीसगढ,(24,दिसंबर,2010),अरुण कान्त शुक्ला “आदित्य”, क्रिश्चियन मेडिकल कालेज, वेल्लोर द्वारा पॉल हेरिसन अवार्ड प्राप्त और अंतर्राष्ट्रीय स्तर स्वास्थ्य और मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये जोनाथन मैन सम्मान प्राप्त डा.विनायक सेन को रायपुर में द्वितीय सत्र न्यायाधीश बी.पी.वर्मा की अदालत ने राजद्रोह और षडयंत्र के मामले में दोषी करार देते हुए आजन्म कारावास की सजा सुनाई | डा. विनायक सेन के साथ ही पहले से जेल में बंद नारायण सान्याल , पीयूष गुहा को भी राजद्रोह और षडयंत्र के मामलों में आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई है | ज्ञातव्य है कि नारायण सन्याल नक्सली होने के आरोप में पहले से जेल में बंद थे |
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 2007 मई माह में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने स्टेशन चौक से पीयूष गुहा नामक एक युवक को पकड़ा था | युवक पर आरोप था कि वह जेल में बंद नक्सली नेता नारायण सान्याल की मदद करता था | इस मामले में, डॉ.विनायक सेन, जो पब्लिक यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के महासचिव भी हैं, पर भी नक्सलियों का सहयोग करने का आरोप लगा था | पुलिस ने नारायण सान्याल, पीयूष गुहा, और डॉ.विनायक सेन के खिलाफ राजद्रोह और छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जुर्म दर्ज किया था | डॉ. विनायक सेन को इस मामले में बिलासपुर से गिरफ्तार किया गया था | नारायण सान्याल पहले से ही जेल में थे | डॉ. विनायक सेन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी |
- शुक्रवार को द्वितीय सत्र न्यायाधीश बी.पी.वर्मा की अदालत ने तीनों को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, लोगों को भड़काने, प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिये काम करने के आरोप में दोषी करार दिया है | तीनों को आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई है | वहीं न्यायालय ने तीनों के ऊपर लगाई गई अन्य तीन धाराओं में उन्हें बरा भी किया है |
- एक अन्य मामले में ओ.पी.गुप्ता की अदालत ने असित कुमार सेन को 8 साल की सजा सुनाई है | रायपुर, टिकरापारा निवासी असित सेन पर नक्सल समर्थक होने एवं नक्सल पर्चे छापने का आरोप था | 22,जनवरी,2008 को टिकरापारा पोलिस ने उसके प्रेस में छापा मारा था और वहीं से उसे गिरफ्तार क्या था |
- डॉ.विनायक सेन शुरू से ही राज्य सरकार के आरोपों का खंडन करते रहे और कहते रहे कि वो नक्सलियों का साथ नहीं देते लेकिन वो साथ ही राज्य सरकार की ज्यादतियों का विरोध भी करते रहे हैं | भारत के लगभग सभी मानवाधिकार संगठनों और दुनिया के कई नोबेल पुरूस्कार विजेताओं ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया था | जब छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने जन सुरक्षा क़ानून लगाया तो डॉ. विनायक सेन इसके प्रखर विरोधी थे | उनका मत था कि राज्य सरकार इसका प्रयोग सामाजिक कार्यकर्ताओं , पत्रकारों और मानवाधिकारों के लिये संघर्ष करने वालों के खिलाफ करेगी | डॉ. विनायक सेन ने पीयूसीएल के साथ काम करते हुए छत्तीसगढ़ में भूख से मौत और कुपोषण जैसे मुद्दों को उठाया और कई गैरसरकारी संगठनों के जांच दलों के सदस्य रहे | उन्होंने ने न केवल राज्य सरकार के द्वारा चलाये गए सलमा जुडूम के कारण आदिवासियों को हो रही कथित परेशानियों को स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचाने में प्रमुख भूमिका अदा की बल्कि सलवा जुडूम की विसंगतियों पर भी गंभीर सवाल उठाये | ज्ञातव्य है कि कुछ समय बाद देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी सलवा जुडूम की अनेक विसंगतियों पर सवाल किये थे |
- डॉ.विनायक सेन पेशे से चिकित्सक थे और उन्होंने समाज सेवा की शुरुवात छत्तीसगढ़ के सुपरिचित श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी के साथ की थी और श्रमिकों के लिये बनाए गए शहीद अस्पताल में निःशुल्क सेवाएं दी थीं | छत्तीसगढ़ उनकी कर्मभूमि थी और वे छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में लोगों के लिये सस्ती चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के उपाय तलाशने के लिये काम कर रहे थे |
- राजीव गांधी सदभावना अवार्ड , राईट लिवलीहूड अवार्ड और एम.ऐ.थामस अवार्ड प्राप्त स्वामी अग्निवेश ने कहा है कि वे डॉ. विनायक और उनकी पत्नी एलीना सेन को पिछले 25 सालों से जानते हैं | दोनों अच्छे इंसान हैं | इस फैसले ने न्यायपालिका का मजाक बना दिया है | कोई विश्वास नहीं करेगा कि वे राजद्रोह का काम करेंगे | वे न्याय का काम कर रहे थे | वे मानवाधिकारों का काम कर रहे थे | आदिवासियों के हक में लड़ रहे थे | जल,जमीन,जंगल को लेकर लड़ रहे थे | उनके अनुसार , पूरा फैसला आने के बाद वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे |