अरुण कान्त शुक्ला , छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ राज्य सरकार , केंद्र सरकार के द्वारा भेजे गए जीएसटी के मौजूदा प्रारूप से सहमत नहीं है | प्रारूप पर विचार करने के लिए 12 सितम्बर , मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार ने केंद्र के प्रस्तावों का विरोध करने का निर्णय लिया है | राज्य के वाणिज्यकर मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा है कि जीएसटी लगाने से विलासता की वस्तुएं सस्ती होंगी और आम उपभोक्ताओं की जरुरत की वस्तुएं महंगी हो जायेंगी |
ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार अप्रैल -2011 से वर्त्तमान अप्रत्यक्ष करों के बदले सेवा एवं वस्तु कर लागू करने की मंशा रखती है , जिसके लिये उसने संसद में एक प्रारूप पेश किया है और उसी प्रारूप को सभी राज्यों को भेजा है | जीएसटी लागू करने के लिए इन प्रस्तावों को लोकसभा और राज्य सभा में तीन चौथाई बहुमत से पास होना तथा पचास प्रतिशत विधान सभाओं से अनुमोदन प्राप्त होना जरूरी है | केंद्र सरकार के लिए यह हासिल करना बहुत मुश्किल नजर आता है क्योंकि न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि कई अन्य राज्य सरकारें भी वर्त्तमान प्रारूप से सहमत नहीं हैं | जुलाई ,2010 में केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की प्रस्तावित दरों में बहुमूल्य धातु पर सेंट्रल जीएसटी तथा स्टेट जीएसटी सहित 20 फीसदी तथा आम उपभोक्ता वस्तुओं पर प्रथम एवं द्वितीय वर्ष में 12 फीसदी , तृतीय वर्ष से 16 फीसदी , अन्य वस्तुओं पर प्रथम वर्ष में 20 फीसदी , द्वितीय वर्ष में 18 फीसदी एवं तृतीय वर्ष से 16 फीसदी तथा सेवाओं पर 16 फीसदी कर दर प्रस्तावित है | राज्य वाणिज्यकर मंत्री अमर अग्रवाल के अनुसार प्रस्तावित माडल से राज्य सरकार को 12 सौ करोड़ की हानी होगी | यद्यपि केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि राजस्व में हानि की क्षतिपूर्ति की जायेगी , लेकिन यह किस तरह की जायेगी , प्रारूप में यह स्पष्ट नहीं है | राज्यों का यह भी मानना है कि प्रावधानों के तहत बनने वाली जीएसटी काउन्सिल से अपने राज्यों में कर लगाने और उसे कम ज्यादा करने की उनकी स्वतंत्रता समाप्त हो जायेगी |
यद्यपि केंद्र और राज्यों के राजस्व को भारी भरकम बनाने वाले अल्कोहल युक्त पदार्थों तथा पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी की परिधि से बाहर ही रखा जा रहा है | केन्द्रीय वित्तमंत्री आर्थिक मंदी के दौरान पिछले तीन बजटों में कारपोरेट सेक्टर को करों में भारी छूटें देकर बजट घाटे को जीडीपी के सात फीसदी से ऊपर ले गए थे , अब जीएसटी लागू करके उसकी भरपाई आम जनता से करना चाहते हैं | प्रणव मुखर्जी को पूरा विश्वास है कि प्रस्तावित जीएसटी दरों में सेवा कर की दर 12 बढ़कर 16 फीसदी होने तथा आम उपभोक्ता वस्तुओं पर कर की दर 8 से बढ़कर 12 फीसदी होने से न केवल राजस्व घाटे की भरपाई होगी बल्कि अर्थव्यवस्था का आकार भी बढ़कर लगभग दूना हो जायेगा | स्वयं प्रणव मुखर्जी के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था जो अभी एक खरब की है , बढकर दो खरब की हो जायेगी | याने , लगभग एक खरब आम जनता से वसूलने का नाम है जीएसटी | केंद्र और राज्य अपने अपने हिस्से को लेकर लड़ रहे हैं किन्तु आम जनता का ध्यान किसी को नहीं है |