उत्तराखंड के नीरज पंत जी को एबीवीपी संयोजक बनाया गयाआपका वर्षों का संगठनात्मक अनुभव चंडीग एबीवीपी के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
गयाआपका वर्षों का संगठनात्मक अनुभव चंडीग एबीवीपी के लिए मील का पत्थर साबित होगा। नीरज पंत उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले हैं अगर उनके संघर्ष के बारे में कहा जाए तो उनके जीवन से सीखने को बहुत कुछ है उनका संघर्ष बचपन से रहा है उत्तराखंड में जब वह पढ़ा करते थे उस समय उन्होंने बहुत ही संघर्ष अपने जीवन में देखा है उनके घर पर कई बार लाइट नहीं होती थी इसीलिए वह चांद की रोशनी में भी पढ़ा करते थे और स्कूल जाने के लिए पैदल ही कई किलोमीटर तक रास्ता तय करना होता था इस प्रकार के संघर्षों के बाद उन्होंने कभी भी शिकायत नहीं की बल्कि हमेशा संघर्षों को चुनौती देते आए और हमेशा अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट लेकर अपनी मंजिल तक चलते रहे नीरज पंत जी आज भी अपनी बोली का सम्मान करते हैं जब जब उन्हें उत्तराखंड का कोई भी व्यक्ति मिलता है वह उसके साथ अपनी भाषा में भी बात करते हैं और आजकल वह चंडीगढ़ में है तो पंजाबी हरियाणा की भाषा का भी ज्ञान रखते हुए कार्य कर रहे हैं पंजाब यूनिवर्सिटी में जिस प्रकार से उन्होंने कम्युनिस्टों के साथ हमेशा संघर्ष करते रहे भारत विरोधियों का विरोध करते रहे पंजाब यूनिवर्सिटी में जिस समय विद्यार्थियों ने पत्थरबाजी की थी उस समय नीरज पंत जी उन विद्यार्थियों के विरोध में भी सामने आई कम्युनिस्ट विचारधारा पार्टियों ने हमेशा से उनका विरोध पंजाब यूनिवर्सिटी में रखा है मगर नीरज पंच जी ने कम्युनिस्टों को भी अपने विचार में लेकर आए हैं यह कार्य उन्होंने अपनी संस्था रियो के द्वारा किया तिरंगा बैंड इन एवरी हैंड एक मोहिम चलाई जिसमें उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी के सभी विद्यार्थियों के हाथ में तिरंगा बैंड पहनाया नीरज पंत जी ने हमेशा खेल उत्सव भी रखे हैं जिससे विद्यार्थी मैदान में आकर अपने आपको स्वस्थ रख सकें हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं कि वह चंडीगढ़ नहीं पूरे भारत के विद्यार्थियों के लिए कार्य करें और एक प्रेरणा स्रोत बनेआपके नेतृत्व में चण्डीगढ एबीवीपी नई उँचाइयाँ प्राप्त करे जय हिंद जय भारत