चंडीगढ़ : सीमान्त प्रदेश उत्तराखंड के ग्रामों से निरंतर हो रहे पलायन को रोकने के लिए ऊत्तरांचल उत्थान परिषद् ने “प्रवासी पंचायत” के अन्तर्गत एक विशेष अभियान प्रारम्भ किया है। जिसके अन्तर्गत देश के विभिन्न भागों में रह रहे प्रवासियों को वर्ष में न्यूनतम एक सप्ताह के लिए अपने गावँ आने का आग्रह किया जाता है। प्रवासी अपने गाँव में ग्रामोत्सव मनाने के साथ ही अपने गाँव के विकास में भी यथा शक्ति सहयोग प्रदान करते है।
उत्तरांचल उत्थान परिषद सन 1988 से ग्राम विकास से सम्बंधित कार्य हेतु समर्पित सेवा संस्थान है । वर्तमान में 22 सांगठनिक जिलों के 22 गावों में आदर्श विकास योजना के अंतर्गत समग्र विकास की गतिविधियाँ जिनमें एकल विद्यालय , संस्कार केंद्र, चिकित्सालय , स्वास्थ सहायक योजना, महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह , साप्ताहिक सत्संग, वन पंचायतें आदि शामिल हैं सितारगंज एवं खटीमा की थारु एवं बोक्सा जनजाती के मध्य 78 एकल विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं।
उत्तराखंड से रोजगार एवं सुविधाओं की तलाश में 60 से 70% आबादी गाँव छोड़ कर नगरों की ओर पलायन कर चुकी है, प्राय: देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, उधम सिंह नगर आदि के साथ साथ दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ आदि महानगरों में प्रवासी निवास कर रहे हैं। प्रवासी बंधुओं को पुनः अपने गावों से भावनात्मक रूप से जोड़ा जाये, इस हेतु प्रवासी पंचायत के नाम एक आयाम प्रारंभ किया गया है।
अभी तक परिषद विभिन्न स्थानों पर इस प्रकार की प्रवासी पंचायतें आयोजित कर चुकी है। विगत वर्ष दिल्ली में सम्पन्न कार्यक्रम में भारत सरकार के गृहमंत्री माननीय राजनाथ सिंह जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। हरियाणा एवं पंजाब में भी बड़ी संख्या में उत्तराखंड के प्रवासी निवास करते है। उनमें क्षेत्रीय ग्राम विकास के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराने के लिए आगामी 13 नवम्बर, 2016 को चंडीगढ़ में प्रवासी पंचायत होने जा रही है।