चंडीगढ़। 04 दिसंबर 2021 : सोशल मीडिया भारत में सामाजिकता को बदल रहा है। यह हमारे अहसास को हमारे जाने बिना बदल रहा है। इंफोटेक और बायोटेक का संबंध समाज के लिए खराब है। सोशल मीडिया के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम लोगों के माइंड सेट स्टे्टस को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए बड़ी कंपनियों द्वारा सुनियोजित तरीकों से काम किया जा रहा है। मीडिया, अकादमिक और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से भारतीय समाज, संस्कार और सभ्यता को टारगेट किया जा रहा है। अंग्रेज, अंग्रेजी और अंग्रेजीयत को स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया काम कर रहा है। भारत की सभी मीडिया कंपनियों के बराबर का राजस्व केवल गुगल और फेसबुक कमा रही है और सब पैसा भारत से बाहर जा रहा है। सरकार सोशल मीडिया को आधार नंबर के साथ लिंक कर दे तो फेक न्यूज और साइबर अपराध में बहुत तेजी से कमी आ जायेगी। सोशल मीडिया के तत्कालिक स्वभाव के कारण आज सामाजिक व्यवहार बदल रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्तियों की जासूरी की जा रही है। उक्त बातें पंचनद शोध संस्थान द्वारा आयोजित वार्षिक व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय ने सोशल मीडिया का सामाजिक परिप्रेक्ष्य विषय पर कही। पंजाब विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग सभागार में आयोजित कार्यक्रम में श्री उपाध्याय ने कहा कि सोशल मीडिया उपने उपभोक्ताओं के इमोशन और व्यवहार का अध्ययन कर अपने फायदे के लिए टारगेट कर रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ लोग एलगोरिदम सेट कर हमारी लाइफ को रूल कर रहे है। आज भी एलगोरिदम के बारे में बहुत कम जानकारी सामने आ रही है। श्री उपाध्याय ने बताया कि सोशल मीडिया के आने के कारण सूचनाओं का केन्द्रीकरण और समाज का विकेन्द्रीकरण हो रहा है जो लोकतांत्रिक समाज के लिए सही नहीं है। उन्होंने बताया कि गुगल, फेसबुक और ट्यूटर जैसे प्लेटफार्म पर विचार के आधार पर तय किया जा रहा है कि किसे ब्लू टिक दिया जाए। आज पॉलिटिकल नैरेटिव भी सोशल मीडिया हैडल कर रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पंचनद शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया गेम ऑफ रियालटी है। कोविड में सोशल मीडिया से बहुत से लाइफ को बचाया गया है। फेक न्यूज का सबसे ज्यादा खतरा है। आज लोग अनसेंसर्ड इंफोरमेशन के माध्यम से ज्यादा खतरे में है। सोशल मीडिया के उपलब्धता के कारण किसी की भी नीजता सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में नियंत्रण के बदले स्वनियमन होना चाहिए।
पंचनद शोध संस्थान के निदेशक डॉ. कृष्ण चंद पाण्डेय संस्थान का परिचय कराते हुए कहा कि शोध संस्थान विगत 36 वर्षों से काम कर रहा है। पंचनद शोध संस्थान का उद्देश्य किसी भी समस्या का समाधान आपसी संवाद के द्वारा निकालना है। यह सनातन परंपरा है। हम आपसी संवाद से ही किसी समस्या का समाधान निकाल सकते है। उन्होंने कहा कि पंचनद बौद्धिक रूप से समाज को संवेदनशील बनाने के लिए कार्य कर रहा है। अगर समाज का बौद्धिक वर्ग जागरूक रहता है जो वह राष्ट्र और समाज के लिए काम करता है। उन्होंने बताया कि सत्य की अनंत खोज पंचनद का ध्येय वाक्य है। पंचनद शोध संस्थान अपने अध्ययन केन्द्रों के माध्यम अच्छे विचारों को समाज में प्रचारित एवं प्रसारित करता है। इससे संबंधित कंटेंट तैयार करते है और बाद प्रकाशित करते है। शोध संस्थान के बौद्धिक प्रकोष्ठ के प्रभारी संजय मितल ने कहा कि समाज अपने संस्कार से सिखता है। समाज इससे आगे बढ़ता है। सब एक दूसरे से जुडे है। यह राष्ट्र का हैं मेरा नहीं है यह भाव पंचनद का है। यह सनातन परंपरा है। श्री मितल ने कहा कि शुरू में सोशल मीडिया पर लोग कम समय देते है और बाद में वह बढ़ जाता है। कार्यक्रम में पंचनद शोध संस्थान के दिल्ली, पंजाब हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू में संचालित 42 अध्ययन केन्द्रों से 300 से ज्यादा कार्यकर्ता शामिल हुए।
पत्रिका का विमोचन
पंचनद शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘सोशल मीडिया: करणीय और अकरणीय’ पत्रिका का विमोचन भी किया गया। चार पृष्ठों की इस पत्रिका में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए को बिंदुवार प्रस्तुति की गई है।
आम सभा का आयोजन
शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला के नेतृत्व में आम सभा की बैठक भी आयोजित की गई। बैठक में संस्थान के गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के अंत में पंचनद शोध संस्थान के महासचिव सीए विक्रम अरोड़ा ने धन्यवाद धन्यवाद ज्ञापित की।