‘एकात्म मानवदर्शन’ विषय पर व्याख्यान में गुजरात के राज्यपाल ने रखीं कई बातें
चंडीगढ़, 13 दिसंबर : दिखने में हम सब अलग-अलग दिखते हैं, लेकिन हम सबको कोई चीज है जो एक सूत्र में बांधती है। राष्ट्र के संबंध में यह राष्ट्रीयता है। संपूर्ण विश्व के रूप में मानवता है। भारतीय दर्शन यही बताता है कि हर जड़-चेतन से हमारा किसी ने किसी रूप से नाता है। यदि इसे समन्वय तरीके से महापुरुषों की दृष्टि से देखना हो तो महात्मा गांधी, पं दीनदयाल उपाध्याय और योगी अरविंद की रचनाओं को मिलाकर पढ़ें। ये बातें गुजरात के राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली ने कहीं। वह पंचनद शोध संस्थान, चंडीगढ़ की ओर से लॉ भवन में आयोजित व्याख्यान एकात्म मानवदर्शन विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
एक गूढ़ विषय को बेहद सरल अंदाज में समझाते हुए श्री कोहली ने कहा कि विविधताओं में एकत्व की तलाश और सोच ही भारतीय दर्शन है। इसी को समय-समय पर महापुरुषों ने अपने-अपने ढंग से कहा। सर्वे भवंतु सुखिन: और वसुधैव कुटुंबकम जैसे सूक्त श्लोकों का उद्धरण देते हुए गुजरात के राज्यपाल ने कहा कि तुलसीदास, महात्मा गांधी, योगी अरविंद और दीनदयाल उपाध्याय के विविभन्न विषयों पर चिंतन का मूल मंत्र है एकत्व। उन्होंने कहा कि जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में जिस चैतन्य की बात कही है, उसे ही हम राष्ट्र का चैतन्य कह सकते हैं। असल में जिसे हम धर्म कहते हैं, वही तो राष्ट्रीयता है। धर्म का अर्थ है दूसरों में खुद को देखना। दूसरों के दर्द को समझना। यही एकत्व मानव के लिये खुशियों की सौगात ला सकता है। इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रो बृज किशोर कुठियाला ने स्वागत वक्तव्य दिया, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ कृष्ण सिंह आर्य ने पंचनद एवं व्याख्यान के विषय में संक्षिप्त जानकारी दी। खचाखच भरे ऑडिटोरियम में लोगों ने इस विषय पर कई सवाल भी उठाये, जिनका जवाब राज्यपाल ओपी कोहली ने दिये।
पूंजीवाद, साम्यवाद रहा विफल
व्याख्यान के दौरान कोहली ने कहा कि विश्व में दो धारायें खूब चलीं, पूंजीवाद और साम्यवाद। पूंजीवाद व्यक्ति केंद्रित था तो साम्यवाद राज्य केंद्रित। एक में समाज की अवहेलना की गयी और दूसरे में राजशाही शोषक बन गयी। दोनों में अलग-अलग तरीके से व्यक्ति और समाज का टकराव था। इस टकराव को दूर करने के उद्देश्य से ही एकत्म मानव दर्शन उभर कर सामने आया।
प्रकृति और मानव का अटूट संबंध
एकत्व पर चर्चा करते हुए श्री कोहली ने कहा कि प्रकृति की तमाम जड़, चेतन वस्तुओं से मानव का सीधा संबंध है। बस इसका अति दोहन ही नाश का कारक है। जरूरत भर ही अगर हम प्रकृति से मिली सौगातों का इस्तेमाल करेंगे तो निश्चित रूप से सामंजस्य बना रहेगा।
जोड़ने वाली हो शिक्षा
एकात्म मानव दर्शन के तमाम पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए ओपी कोहली ने कहा कि शिक्षा जोड़ने वाली होनी चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी और काका कालेकर के बीच हुए संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि गांधीजी को यह दुख सालता था कि शिक्षित होते लोगों में से करुणा का भाव खत्म होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य भौतिक कम, मानवता वाला ज्यादा होना चाहिए।