चंडीगढ़ : भारत और अमेरिका के दिवपक्षीय व्यापार को 104 अरब डालर से बढ़ाकर पांच सौ अरब डालर तक पहुंचाने के लिए भारत और अमेरिका को ओवर टाइम करना चाहिए। दोनों देशों के बीच पांच सौ अरब डालर कां व्यापारिक लक्ष्य अमेरिका के राष्ट्रपित बराक ओबामा ने तय किया है। यह कहना है यूएस एंबेसी के डिपुटी चीफ ऑफ मिशन माइकल पैलेटियर का। उन्होंने यह बात सीआईआई हेडक्वार्टर सेक्टर-31 चंडीगढ़ में आयोजित इनवेस्टिंग, ट्रेडिंग एंड ट्रेवलिंग टू यूनाइटेड स्टेट्स पर आयोजित सत्र के दौरान कही। इस सत्र का आयोजन कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री और यूएस एंबेसी द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों द्वारा पूर्णकालिक विकास के लिए निवेश सबसे ज्यादा आवश्यक है।अमेरिका में भारतीय स्वामित्व वाली कंपनियों ने 44,000 लोगों को रोजगार दिया है और यह कंपिनयां अमेरिका के निर्यात में 2 अरब डॉलर का योगदान देती हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त लाभ और रोजगार पैदा करने में दोनों देशों द्वारा संयुक्त उपक्रम महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा सेलेक्ट यूएस शिखर सम्मेलन में दूसरा सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल भारत से था जो कि उत्साहवर्धक रहा।जब यही शिखर सम्मेलन इस साल जून में आयोजित किया जाएगा और उम्मीद है कि इस बार भीसंख्या में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार द्वारा 69 फीसदी एच1बी वीजा और 29 फीसदी एच1एन1 वीजा भारतीयों के लिए दिए गए। उन्होंने कहा कि अमेरिकन सरकार भारतीयों के लिए जल्दी वीजा देने के लिए सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। पिछले साल भारतीयों के एक मिलियन वीजा आवेदन प्रोसेस हुए।
सीआईआई चंडीगढ़ काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने कहा कि सीआईआई की इंडियन रूट्स अमेरिकन सायल पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि 100 भारतीय कंपनियों ने 433 करोड़डालर प्रति राज्य के एक औसत के साथ अमेरिका में 15.3 अरब डालर का संचयी मूर्त निवेश किया है।
लगभग 20 अमेरिकी राज्यों टेक्सास, पेंसिल्वेनिया, मिनेसोटा, न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी से भी अधिक 100 मिलियन डालर भारतीय कंपनियों से निवेश के माध्यम से प्राप्त किया गया है।हालांकि, वहाँ कई एेसे क्षेत्रों भी हैं जहां अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश कर सकती हैं।इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए यूएस में ट्रिलियन डालर के विकल्प हैं। मसलन, वह राजमार्गों, हवाई अड्डों और बंदरगाहों आदि के साथ ही दोनों देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करवाने में सहयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही वित्तपोषण, रेलवे, अक्षय ऊर्जा, शहरी विकास के क्षेत्र में में खरबों डॉलर के मौके हैं। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी क्षेत्रों, भारतीय रक्षा बाजार और डिजिटल भारत और भारतनेट मिशन के क्षेत्र में भी सहयोग किया जा सकता है।
वर्ष 2013 में मैरीलैंड में बाय अमेरिकन बिल की वापसी के बाद व्यापार के बंधन कम हुए हैं। भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी दीर्घकालिक है और यह दोनों ही देशों के बीच एकदम संतुलित है।
अमरेिकी दूतावास के वाणिज्य अधिकारी पॉल फ्रास्ट ने भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने पर आधारित एक ब्रेकआउट सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “वाणिज्यिक सेवाएंअमेरिकी दूतावास द्वारा अमेरिका और भारतीय व्यापारियों के बीच मैच मेकिंग सेवाएं शुरू की गई हैं। जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा।
पर्यटन और शिक्षा पर आधारित एक सेशन में अमेरिकी दूतावास से आए प्रतिनिधियों ने यहांशैक्षिक प्रतिष्ठानों और टूरिज्म के संबंध में कई जानकारी प्रदान कीं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से बाधारहित पर्यटन और एजूकेशन हासिल की जा सकती है।
अमेरिकी दूतावास ने यूएसए टू गो आउटरीट प्रोग्राम डवलप किया है जिससे कि दोनों देशों के बीचव्यावसायिक और व्यक्तिगत संबंधों में ज्यादा से ज्यादा वृद्धि हो सके। प्रत्येक वर्ष नान इमीग्रेंट वीजा आवेदनों की संख्या में तेजी के साथ वृद्धि हो रही है। यह वर्ष 2013 में 860000 थी जबकि 2015 में यह 1100000 हो चुकी है। भारत यूनाइटेड स्टेट्स में स्टूडेंट्स को भेजने में अभी चीन से पीछे है। वर्ष 2015 में एक लाख भारतीय टूरिस्ट अमेरिका गए जिन्होंने नौ अरब से ज्यादा खर्च किया। भारत मोटे तौर पर $ 11 अरब के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश केसबसे तेजी से बढ़ते स्रोतों में से एक है।
अमेरिकी सरकार ने विशिष्ट कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए और इन गतिविधियों को चुना है। इनवेस्टमेंट और ट्रेड को बढ़ाने के लिए सेलेक्ट यूएसए एंड द इंटरनेशनल बायर प्रोग्राम, शिक्षा की सुविधा के लिए यूएसए फैसिलिटेट्स एजूकेशन, ब्रांड यूएसए-संयुक्त राज्य अमेरिका में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रोग्राम। यूएसए टू गो के माध्यम से अमेरिकी दूतावास यूएस में विकल्प की जानकारी प्रदान कर रहा है। सीआईआई और अमेरिकी दूतावास ने मेक माई ट्रिप, सनाम एस 4, वेस्टर्न यूनियन, ब्रांड यूएसए, यूनाइटेड एयर लाइंस के साथ वाईब्रेंट फोरम को इस इवेंंट की सफलता में योगदान के लिए धन्यवाद दिया।