२८ फ़रवरी २०१५ को चंडीगढ़ में हरित क्रांति भारतीय सेना द्वारा श्रद्धेय डॉ राजीव दिक्षित जी का समृति दिवस एवं सम्मान दिवस के रूप में चंडीगढ़ बुड़ैल चौधरी भोपाल सिंह स्टेडियम हाल में मनाया जा रहा है लेकिन बहुत से भाई बहिन व माताएं उनकी जीवनी के बारे में नहीं जानते इसीलिए हम यहाँ पर उनके बारे में ये लेखन दे रहे है !
राजीव दीक्षित (30 नवम्बर 1967 – 30 नवम्बर 2010) एक भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे।. [1] बाबा रामदेव ने उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव [2] का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी मृत्यु तक रहे। वे राजीव भाई के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे।
1 जीवन परिचय 2 योगदान 3 कार्य 4 मृत्यु
5 सन्दर्भ 6 बाहरी कड़ियाँ
जीवन परिचय:::—
राजीव दीक्षित का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ 30 नवम्बर 1967 को हुआ था। फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी० टेक० तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम० टेक० की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने कुछ समय भारत के सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम भी किया। तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये।
योगदान::::—-
दीक्षित ने 20 वर्षों में लगभग 12000 से अधिक व्याख्यान दिये।[3] भारत में 5000 से अधिक विदेशी कम्पनियों के खिलाफ उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की।उन्होंने 9 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का दायित्व सँभाला।
कार्य::::—-
दीक्षित ने स्वदेशी आन्दोलन तथा आज़ादी बचाओ आन्दोलन की शुरुआत की तथा इनके प्रवक्ता बने।
उन्होंने जनवरी 2009 में भारत स्वाभिमान न्यास की स्थापना की तथा इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव बने।
मृत्यु:::—
30 नवम्बर 2010 को दीक्षित को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया। उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि दीक्षित होम्योपैथिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ। ये बताया जाता है लेकिन सच्चाई तो ये है की उनकी मृत्यु एक राज था जो आज तक राज ही बना हुआ है ! लाखों स्वदेशी लोग आज तक उनकी यादों के सहारे भारत माता की निश्वार्थ सेवा में लगे हुए है , वो आज भी यही चाहते है की राजीव भाई दिक्षित जी आएं और अपने व्याख्यानों से हमें निहाल करें उनके व्याख्यान rajeev dixit mp3.com पर है इंटरनेट पर बिलकुल फ्री मिलते है कोई भी उन्हें सुन सकता है
सुरेश आर्य भट्ट, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हरित क्रांति भारतीय सेना