चण्डीगढ़ 21 अगस्त: इन्सान के पास किसी विषय के बारे जितनी मात्रा में ज्ञान होता है उस जानकारी से सम्बन्धित उसके द्वारा किए जाने वाले कर्म भी उसी के अनुसार होते हैं हमें भी निरंकारी सत्गुरू माता सविन्द्र हरदेव जी द्वारा ब्रह्मज्ञान प्रदान किया गया है हमारे कर्म से भी यह पहचान होनी चाहिए कि हमें परमात्मा की जानकारी है, ये विचार आज यहां देहली से आए सन्त निरंकारी मण्डल के उप मुख्य संचालक श्री ओ. पी. निरंकारी ने आज यहां सैक्टर 30-ऐ में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए ।
श्री निरंकारी ने ब्रह्मज्ञान की महिमा की चर्चा करते हुए कहा कि यह दुनियां में उपलब्ध सभी प्रकार की जानकारियों से ब्रह्मज्ञान महत्वपूर्ण है, इन्सान अपनी योग्यता, धन, बल आदि से इसे प्राप्त नहीं कर सकता, दुनियां में आए ऋषि, मुनि, तपी, तपीश्वर, इसे अपनी कोशिश या योग्यता से प्राप्त नहीं कर पाए, यह केवल और केवल सत्गुरू की बख्षीष से ही इन्सान को प्राप्त होता है । इसलिए इस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर हमें इसकी महत्ता को समझना चाहिए और सत्गुरू के आदेशानुसार अपना जीवन ढाल कर इस ब्रह्मज्ञान का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए ।
साकारात्मक सोच बारे चर्चा करते हुए श्री निरंकारी ने कहा कि आमतौर पर इन्सान की सोच हमेशा नाकारात्मक होती है लेकिन हमने ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया है इसलिए हमारी सोच आम लोगों से अलग होनी चाहिए हमारा नाकारात्मक सोच का अकाउंट खाली और साकारात्मक सोच का अकाउंट हमेशा भरा हुआ होना चाहिए ।
इससे पूर्व यहां के संयोजक श्री मोहिन्द्र सिंह जी ने श्री ओ. पी. निरंकारी जी के गले मेे दुपट्टा डाल कर स्वागत किया और परमात्मा से सभी के लिए अधिक से अधिक सत्संग-सेवा-सिमरन कर पाने व उन्हें हर तरह के तन-मन-धन के सुख प्रदान करने की कामना की ।