सी.आई.आई. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टनेबल डेवलपमेंट द्वारा भारतीय कॉर्पोरेट्स में रिस्पोंसेबल बिजनेस प्रैक्टिस अपनाने व इसके प्रचार के लिए अपने पहले रोड़ शो का आगाज़ चंडीगढ़ के होटल ताज से किया।रोड़ शो की शुरूआत के अवसर पर सी.आई.आई. चंडीगढ़ काउंसिल के चेयरमैन श्री अमरबीर सिंह ने कहा कि निजी सिद्धांत व्यापार के सिद्धांतों को प्रभावित करते हैं, व्यापार के सिद्धांत कॉर्पोरेट शासन प्रणाली को प्रभावित करते हैं और इससे अर्थव्यवस्था का पतन होता है। उन्होंने कहा कि सेवा और विनिर्माण के क्षेत्र में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की की है। उत्पादों के वितरण में कंपनियों ने विश्वस्तरीय मानकों को बनाए रखा है इसी के चलते हम विश्व व्यापार प्रतिस्पर्धा में कायम हैं। हालांकि अभी भी भ्रष्टाचार की समस्या हमारे रास्ते में सबसे बड़ी बाधक बनी हुई है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि यदि किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है और सुंदर मानसिकता वाले लोगों का देश बनना है तो मेरा मानना है कि इसमें समाज के तीन सदस्य अपनी भूमिका निभाग सकते हैं। यह तीन सदस्य पिता, माता और शिक्षक हैं।
सी.आई.आई. की ओर से श्री दीपक जुनेजा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्हें सी.आई.आई. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टनेबल डेवलपमेंट के इतिहास बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि कैसे यह पर्यावरण प्रबंधन विभाग से स्थिरता के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बन गया।
टेक्रीकल सेशन की शुरूआत करते हुए सी.आई.आई. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टनेबल डेवलपमेंट के प्रधान सलाहकार शिखर जैन ने भारतीय कॉर्पोरेट्स में रिस्पोंसेबल बिजनेस प्रैक्टिस अपनाने व इसके प्रचार को लेकर बनाए गए प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी। भारतीय परिदृष्य के अनुरूप उन्होंने इस प्रोजेक्ट के परिणामों को भी उल्लेखित किया। इस दौरान श्री जैन ने कॉर्पोरेट शासन प्रणाली, मूल्य एवं सिद्धांत विषय पर कॉर्पोरेट शासन प्रणाली को केंद्र बिंदू रखते हुए प्रेजेंटेशन भी दी। इस प्रेजेंटेशन के बाद इसके बारे में एक संवाद सत्र भी रखा गया। इस दौरान इससे जुड़ी केस स्टडी भी प्रतिभागियों के सामने रखी गई। इस शो का समाधान और आगे के रास्तों के बारे में प्रतिभागियों के साथ परामर्श के एक समूह सत्र के साथ समापन हुआ।
छोटी या बड़ी कोई भी कंपनी हो उस कंपनी के शीर्ष एजेंडा में सिद्धांत, कॉर्पोरेट मूल्य तथा कॉर्पोरेट शासन प्रणाली होनी चाहिए। हालांकि संकट की स्थिति इसका अपवाद हो सकती है। यह याद रखने की जरूरत है कि संस्कृति को एक पखवाड़े में या कुछ माह में बदला नहीं जा सकता। इस बदलाव के लिए एक लंबी यात्रा पूरी करनी पड़ती है। कॉर्पोरेट कल्चर को जीवंत वास्तविकता बनने के लिए नियमित रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इस दौरान 25 प्रतिभागी इस रोड़ शो का हिस्सा बने। ये प्रतिभागी स्वास्थ्य, आतिथ्य, इंजीनियरिंग, विनिर्माण, व्यापार, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे संबंधि उद्योगों के अलावा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान और तकनीकी और शैक्षिक संस्थाओं के प्रतिनिधित्व करने पहुंचे थे।