पंचनद शोध संस्थान की गोष्ठी में बोले जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के संस्थापक सदस्य
पंचकूला, 18 अगस्त 2019 : भारतीय संसद ने धारा 370 को हटाया नहीं है, बल्कि इसमें संशोधन किया है। इस संशोधन में उन प्रावधानों को हटाया गया है, जो जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ पूर्णत: एकीकरण और यहां के लोगों के विकास में बाधा थे। इस संशोधन से धारा 35ए को हटाना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के विकास में ऐतिहासिक कदम साबित होगा। यह विचार पंचनद शोध संस्थान की गोष्ठी में जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के संस्थापक सदस्य प्रफुल्ल केतकर ने व्यक्त किए। रविवार को सेक्टर 12ए स्थित भारत विकास परिषद भवन में आयोजित इस गोष्ठी में पंचकूला, चंडीगढ़ और पिंजौर के बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि फिलहाल भारत के संविधान को यहां पूर्ण रूप से लागू करने के लिए 106 संशोधन या आदेश जारी करने होंगे। यह काम आगामी 31 अक्तूबर तक पूरा होगा। फिलहाल स्थानांतरण के बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का कार्यभार संभालने वाले न्यायधीशों को जम्मू-कश्मीर के संविधान की शपथ लेनी पड़ती है। इस प्रकार के अनेक ऐसे प्रावधान हैं जो इस राज्य को भारत से अलग करते हैं।
उन्होंने कहा कि देश ने 7 दशकों तक जम्मू कश्मीर में जिस समस्या को झेला, उसके मूल में प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का अहंकार था। इस अहंकार के कारण ही उन्होंने इस राज्य का भारत में विलय के वक्त महाराजा हरिसिंह को दरकिनार कर शेख अब्दुला को प्रोत्साहित किया। नेहरू इस मसले को संयुक्त राष्ट्र संघ में लेकर गए। इससे भी बड़ी गलती यह की कि उन्होंने शेख अब्दुला को कश्मीर के प्रतिनिधि के तौर संयुक्त राष्ट्र संघ में भेजा। यहां उनका संपर्क अरब और तुर्क प्रतिनिधियों से हुआ। उन्होंने अब्दुला के दिमाग में कश्मीर को लेकर स्वतंत्र देश का विचार डाला। यहीं से कश्मीर समस्या की शुरुआत हुई। बाद में सरदार बल्लभभाई पटेल और डॉ. भीमराव अंबेडकर की असहमति के बावजूद पंडित नेहरू ने संविधान में जम्मू कश्मीर को लेकर विशेष प्रावधान जुड़वाए।
ये विशेष प्रावधान जम्मू कश्मीर के लोगों के विकास में तो बाधा बने ही साथ ही इस राज्य का भारत के साथ भावनात्मक जुड़ाव भी नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम के आगमन से पूर्व कश्मीर का गौरवशाली सांस्कृतिक इतिहास रहा है। पिछले 7 दशकों में कश्मीर के गौरव को ध्वस्त कर इसे विवादों की भूमि बना दिया गया। संविधान के इस ऐतिहासिक संशोधन के बाद कश्मीर का भारत के साथ भावनात्मक जुड़ाव बढ़ेगा और यहां की अनेक समस्याओं का समाधान होगा। गोष्ठी में उपस्थित प्रबुद्ध नागरिकों ने भी विमर्श में भागीदारी की।
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अब नियंत्रण रेखा पार के बंधुओं की सुध ले भारत
प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि भारत के प्रबुद्ध वर्ग को दुनिया के सामने पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन का विषय उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस क्षेत्र के साथ बहुत अन्याय कर रहा है। यहां लोकतंत्र का इस कदर गला घोटा जा रहा है कि यहां आज तक एक बार भी चुनाव नहीं हुए। इतना नहीं पाकिस्तान अपने 5 राज्यों में इस क्षेत्र की गणना तक नहीं करता। उन्होंने कहा स्वतंत्र कश्मीर की समस्या का निराकरण करने के बाद भारत को गुलाम कश्मीर के लोगों की सुध लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के उस पार हमारे बंधु अत्याचार और उत्पीड़न सहन कर रहे हैं।
फोटो कैप्शन 1 : पंचकूला के सेक्टर 12 स्थित भारत विकास परिषद भवन में रविवार को पंचनद शोध संस्थान की गोष्ठी में उपस्थित प्रबुद्ध नागरिक।